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________________ १०४ अनुसन्धान-६२ सत्तरभेदी पूजा-सानुवादनुं पुस्तक जोवा मळ्युं.' आ पुस्तकमां पूजाना रचनावर्ष अने कर्ताना नामाचरणवाळी छेल्ली कडी अने तेनो अनुवाद आ प्रमाणे छ : "विजय आनन्द लघु नन्दा, निधि शशि अङ्क है चन्दा (१९१९) । अंबाले नगर में गायो, निजातम रूप हुं पायो ॥" "मूलचन्दजी महाराजना नाना भाई आनन्दविजय उर्फे विजयानन्दसूरि के आत्मारामजी महाराजे सं. १९१९मां अंबालानगरमां आ सत्तरभेदी पूजा रचीने पोतानु आत्मस्वरूप प्राप्त कर्यु." ___ हवे आत्मारामजी म.नी संवेगी दीक्षा सं. १९३२मां थई छ.२ वळी तेओओ आ पूजानी छेल्लेथी बीजी कडीमां 'मुक्ति गणि सम्प्रति राजा' अवो उल्लेख कर्यो छे जे सूचवे छे के मुक्तिविजयजी (-मूळचन्दजी) महाराजनी गणिपदवी (सं. १९२२) थया पछीनी आ रचना छे. आ संजोगोमां आ रचनानुं वर्ष सं. १९१९ होई शके नहीं अवो ख्याल आव्यो. आ सम्बन्धे पू.आ. श्रीविजयप्रद्युम्नसूरिजी सम्पादित सत्तरभेदी-पूजा, विविधपूजासङ्ग्रह, लघुपूजासङ्ग्रह व. पुस्तको तपासतां बधे ठेकाणे "निधि शशि अङ्क है चन्दा (१९१९)" अवो ज पाठ मळ्यो. विचार करतां जणायुं के वीसमी सदीना चोथा के पांचमा दसकानी आ रचना होई शके, अने तेथी दशकाङ्कसूचक 'शशि' शब्दमां ज गरबड होय. अने जो 'शशि' हस्तप्रत-वांचननी के मुद्रणनी क्षति होय तो बहु ज सम्भव छे के अने बदले मूळ शब्द 'राशि' होय. 'राशि' शब्द त्रणनो अङ्क सूचवी शके. तेथी पाठ आम होवो जोइओ : "निधि राशि अङ्क है चन्दा. (१९३९)". जैन साहित्यनो सङ्क्षिप्त इतिहास - पृ. ६८६ पर आ पूजा सं. १९३९मां रचाई होवानी नोंध पण पाछळथी जाणवा मळी. तेथी आ पूजा- रचनावर्ष खरेखर वि.सं. १९३९ होवू जोईओ, ओ वधु ठीक लागे १. प्रका. - सूरिरामचन्द्र दीक्षा शताब्दी समिति २. जैन साहित्यनो सङ्क्षिप्त इतिहास - पृ. ६८५ ३. वस्तुसङ्ख्याकोश - सं.- भारती सं. भगत - पृ. १८८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520563
Book TitleAnusandhan 2013 09 SrNo 62
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages138
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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