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________________ १२० अनुसन्धान-५९ दिवाकरजीओ जोयुं हशे के शास्त्रीय क्रमवादनी सामे तार्किक बल पर अस्तित्वमां आवेलो युगपवाद स्वयं तार्किक दृष्टि शुद्धीकरणनी शक्यता धरावे छे. ओमां ओक तरफ 'जुगवं दो नत्थि उवओगा' से शास्त्रवचननी असंगतिनी समस्या तो ऊभी ज छे. तो बीजी तरफ अनुभवनी अरण पर पण अ थोडोक नबळो ठरे छे. केम के केवलज्ञान अने केवलदर्शन अकसा वर्तता होवा छतां, जेम भिन्न स्वरूप धरावता होवाथी परस्पर सर्वथा अभिन्न नथी, तेम अकबीजाथी सापेक्षपणे वर्तता होवाथी सर्वथा भिन्न पण नथी. ओक उदाहरण जोइओ. आपणे ज्यारे आंखथी जोइसे छीओ त्यारे बन्ने आंखोनी जोवानी क्रिया स्वतन्त्र अने भिन्न ज होय छे. बे आंखोनी जोवानी क्रिया एक ज छे अवुं तो कोई पण बुद्धिमान् व्यक्ति न कहे. वळी, बन्ने आंखथी मनने मळती माहिती पण भिन्न भिन्न होय छे. जमणी आंख जे कोणथी वस्तुने जुअ छे, डाबी आंखनो कोण तेनाथी लगभग ३° अंश जेटलो तफावत धावतो होय छे. छतां पण मन अ बन्ने माहितीने मूलवीने अक ज दृश्य मानसिक पट पर उपसावे छे, कारण के मननी चक्षु द्वारा बोध करवानी शक्ति तो अक ज छे. ते ओक ज शक्ति बन्ने आंखो द्वारा बोध प्रवर्तावे छे, माटे बे आंखोना बे बोध नथी प्रवर्तता. ट्रंकमां, शक्ति एक, बोध ओक, पण शक्तिथी जन्य बोध माटेनी क्रिया बे. मतलब के क्रियागत भेद, पण क्रियाओनो बोधतः अने शक्तितः अभेद. हवे आ ज वात केवलबोधमां लागु पाडीओ तो केवलज्ञानशक्ति तो स्वरूपतः ओक ज छे, पण अ शक्ति केवलज्ञान अने केवलदर्शन जेवी बे आंखो द्वारा प्रवर्ते छे. वळी, बन्ने बोधक्रियाओ तो अलग अलग ज छे, पण ओ बन्ने क्रियाओथी जन्य बोध तो ओक ज सर्जाय छे. अर्थात् बोधक्रिया (-केवलज्ञान) अने अवलोकनक्रिया (-केवलदर्शन) परस्पर स्वतन्त्र होवा छतां, बोधतः अने शक्तित: २३ अभिन्न रहे छे. आ थयो भेदाभेदवाद. २४ युगपवाद केवलज्ञान अने केवलदर्शनने समानकालीन गणवा छतां बन्नेने सर्वथा भिन्न गणे छे. ज्यारे सिद्धसेनाचार्ये प्ररूपेलुं अनुं ज परिष्कृत स्वरूप भेदाभेदवाद बन्नेने कालतः, बोधतः अने शक्तित: अभिन्न गणे छे अने स्वरूपतः भिन्न गणे छे. अने माटे ज दिवाकरजी 'कल्पितभेदं' थी बन्ने वच्चे
SR No.520560
Book TitleAnusandhan 2012 07 SrNo 59
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2012
Total Pages161
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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