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________________ २० अनुसन्धान-५७ वालीनाहह परहडा ए, बे पडणि पडंता, छंडि न आमिष तणी आस, अच्छि वाकुल खंता, वालीनाहह दिउ ग्रास, लीहावउ वही ए, मांडे लाडू करउ भगति, अनई ईडरी ॥९॥ पारधि जीवन पोसिउं ए, बहु पावह जोगा, पारधि खेलत दसरथह, हुउ पुत्त वियोगो, कुमारनरेसर निययराजि, आहेडउ वारई, जलचर-थलचर-खयर जीय, इह कोइ न मारई ॥१०॥ वस्तुः पडण टालिअ पडण टालिअ जीवसंहार, सूअर संवर रोझ तिहिं फिरई जेह मणह भावई, दहिआ तीतिर सालहिअ कच्छ मच्छ नहु मरण आवई, छाली बोकड गाडरह कोइ न घालई घाउ, रात करई जांमे इणिहिं, कुमरड रायह राय ॥११॥ जूअ वसणि हूउ नल नरिंद, दमयंति वियोग, अडवि भमंतां बार वरिस, पांडव मनि सोग, देखी दूषण जूअ तणउ, केइ नवि खेलई सारि, जूरी नवि जूअ रमई, नवि बोलई मारि ॥ १२॥ मंस वसणि सोदासि राय, पांमिअ दुह सेणीअ, दीठी नरगह तणी भूमि, नरवई पुण सेणीअ, आमिष भोअण तणईं दंडि, बत्तीस विहार, राय कराविअ कुमरपालि, जगि तिहुअणसार ॥१३॥ दूषणि मदिरापान तणईं, यादवकुल नासो, कीउ दीवायणइ दुठ देवि, बारवइ विणासो, राय आदेसिइं नींच सवे, हिव मदिरा मेल्हई, मदुवारा नवि मदु करई, भूभलीउं खेलइं ॥१४॥ गणिकागमन निवारिउए, नरवइ निअ राजि, छंडवि वेसावसण लोग, लागा सवि काजि, वेश्या कीधी सती सरिस, तई कुमरड राय, तां पुण पूजइ जिणहमुत्ति, वंदई गुरुपाय ॥१५॥
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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