________________ डिसेम्बर 2011 129 ते पण आश्वासक बाबत छे. श्रावको तथा साधुवर्गमां आवी रुचि क्यारे उद्दीप्त थशे ? 5. जयन्तविजयमहाकाव्यम् कर्ता : अभयदेवसूरिजी, सम्पा. - चन्दनबालाश्रीजी, प्र.-भद्रंकर प्रकाशन - अमदावाद, वि.सं. 2067 नवाङ्गीटीकाकार श्रीअभयदेवसूरिजीना चतुर्थ पट्टधर श्रीअभयदेवसूरिजीओ (द्वितीय) वि.सं. १२७८मां प्रस्तुत काव्यनी रचना करी छे. विविध छन्दोमय 1548 पद्योमां गूंथायेलुं आ महाकाव्य पोतानी अलङ्कृत शैली अने उदात्त भावभङ्गिमाने लीधे अनेक आकर्षण जन्मावे छे. राजा जयन्त अने तेनी समृद्धि तथा तेना विजयोनुं वर्णन तेमज ते द्वारा नमस्कारमन्त्रना महिमा- कीर्तन ओ आ काव्यनी प्रधान विषयवस्तु छे. आ काव्य आ पूर्वे ई.स. १९०२मां निर्णयसागर मुम्बईथी काव्यमालाना ७५मा मणकारूपे प्रसिद्ध थयुं हतुं. तेना सम्पादक पं. भवदत्त अने पं. काशीनाथ हता. आ पुस्तकना आधारे साध्वी श्रीचन्दनबालाश्रीजीओ काव्यनवेसरथी सम्पादन कर्यु छे. हस्तप्रतोना आधारे पाठसंशोधन अने 75 जेटली स्थाने त्रुटित पाठनी पूर्ति आ सम्पादन- मुख्य कर्म छे. नेमिचन्द्र शास्त्रीनी प्रस्तावना, सम्पादकीय, परिशिष्टो व.ने लीधे सम्पादन समृद्ध बन्युं छे. मुद्रण पण सुघड अने व्यवस्थित छे. उपेक्षित बनी रहेला आ महाकाव्यने प्रकाशमां लावीने साध्वीजीओ संस्कृतसाहित्यनी अनुपम सेवा बजावी छे ते निःशङ्क छे. 6. नन्दिसूत्रम् (मलयगिरीय टीका अने तेना आंशिक अनुवाद साथे) अनु.अजितशेखरसूरिजी, प्र.- अहँ परिवार ट्रस्ट - मुम्बई, वि.सं. 2067 परम मङ्गलभूत श्रीनन्दिसूत्रनी मलयगिरिजी भगवन्ते रचेली टीकार्नु संशोधनपूर्वक सम्पादन. प्रस्तुत टीकामां प्रथम त्रण मङ्गलगाथाना विवरणमां घणी घणी शास्त्रीय चर्चाओ निरूपाई छे. आ चर्चाओ, गुजराती भाषामां विस्तृत विवेचन आ ग्रन्थमां करवामां आव्युं छे. विद्यार्थीओ माटे उपकारक प्रकाशन.