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________________ डिसेम्बर २०१० १७३ शिरीष पंचाल, कविश्री राजेन्द्र शुक्ल, कविश्री जयदेव शुक्ल, डॉ. मनोज रावल, डॉ. नाथालाल गोहिल, डॉ. राजेश पंड्या, श्री हर्षद त्रिवेदी, डॉ. रवजी रोकड जेवा साहित्यकार विद्वानो अने प्राध्यापकोनी उपस्थितिने लीधे विद्वानोना मेळा जेवू वातावरण रचायेखें, तो भाविक श्रोतावर्ग पण बहोळी संख्यामां उपस्थित रहेलो. जैन संघना श्रेष्ठिवर्य वडील श्री श्रेणिकभाई कस्तूरभाई, शेठश्री आणन्दजी कल्याणजी पेढीना प्रमुखश्री संवेगभाइ लालभाइ ओ बन्ने अग्रणीओनी अतिथि-विशेषरूपे हाजरी सोनुं अने सुगन्धना सुभग समन्वय समी हती. आ प्रसंग माण्या पछी सौने थयुं के आवो अवसर फरी फरी योजावो ज जोइओ. ___ आ मङ्गल प्रसङ्गे गुजरातना तेजस्वी अध्यापको अने विवेचक अभ्यासीओमां जेमनुं नाम अत्यन्त आदरथी लेवामां आवे छे अवा श्री शिरीषभाई पंचाल तथा गुजरात साहित्य अकादमीना महामात्र, 'शब्दसृष्टि' ना सम्पादक अने कवि-विवेचक श्री हर्षद त्रिवेदी द्वारा दीपप्रागट्य थयु. मे पछी पूज्य आचार्यश्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजसाहेब द्वारा मङ्गलाचरण बाद संगीतज्ञ आदरणीया इन्दुबेन पण्डित तथा श्री शिरीषभाई पण्डित द्वारा मंगल गान प्रस्तुत थयुं, जेमां सरस्वती-वन्दना अने हेमचन्द्रस्तुति हता. ओ पछी स्वागत-प्रवचन करतां ट्रस्टना प्रतिनिधि श्री पङ्कजभाई शेठे 'कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम-जन्मशताब्दी-स्मृति संस्कार-शिक्षणनिधि' ट्रस्टनी विविध प्रवृत्तिओनो ख्याल आपीने जणाव्यु के एकवीश वर्ष पूर्वे गच्छाधिपति आचार्यश्री विजयसूर्योदयसूरिजी म.सा.नी प्रेरणाथी ट्रस्टनी स्थापना थई, अने अनेक परिसंवादो, सेमिनार, संगोष्ठिओ, ग्रन्थप्रकाशनो तथा हेमचन्द्राचार्यचन्द्रकना अर्पण-समारम्भो थता रह्या छे. जेने देश-परदेशना विद्वानो द्वारा सहकार मळतो रह्यो छे. आजे गुजराती भाषाना त्रण मूर्धन्य संशोधकोनुं बहुमान करवानो मङ्गल प्रसङ्ग योजायो छे, एमां उपस्थित सौनुं हार्दिक स्वागत छे. स्वागत-प्रवचन बाद आ कार्यक्रमनी भूमिका बांधतां डॉ. निरंजन राज्यगुरुओ जणाव्युं के - "आपणे त्यां गुजरातमां साहित्य, शिक्षण, संस्कार, सेवा, स्वाध्याय अने संशोधनमां कार्यरत अनेक संस्थाओ पोतपोतानी रीते काम करे छे. दरेकना उद्देशो, कार्यप्रणाली, अभिगमो विभिन्न होय मे स्वाभाविक छे, परन्तु भाषा-साहित्यना अणिशुद्ध उत्कर्ष माटे मथनारी संस्थाओ अने
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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