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अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१
सम्पूर्ण सात्त्विक व्यवहारो धरावनारी व्यक्तिओ ओछी थती जाय छे अ हकीकत छे. त्यारे ओक अद्भुत योगानुयोग छे के गुजराती भाषानो पिण्ड जे बे सत्पुरुषो द्वारा बंधायो छे ते कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्यजी अने भक्तकवि नरसिंह महेता - ओ बंनेना नामथी ट्रस्टो चाले छे, अने साहित्यना क्षेत्रमा अपूर्व योगदान कर्यु होय अवा सर्जको-संशोधकोने आ ट्रस्टो द्वारा नवाजवामां आवे छे. बेउ ट्रस्ट साधुजनोना शुभ संकल्पोनुं परिणाम छे. 'हेमचन्द्राचार्य-चन्द्रक' आजे त्रण गुर्जर सरस्वती-आराधकोने अर्पण थवा जई रह्यो छे, अने 'नरसिंह महेता ओवोर्ड' आजथी मात्र बार दिवस पछी शरदपूर्णिमाना दिवसे गुजराती भाषाना ओक समर्थ कवि श्री अनिल जोशीने अर्पण थशे. बे धर्मपरम्पराओनुं संमिलन थाय, भेदनी भीत्युं भांगती जाय ओवा वातावरण, निर्माण करवाना बीज आचार्य हेमचन्द्रे रोपेलां. आजे अनुं वटवृक्ष पांगरी रह्यु होय अवा अणसार देखाता थया छे. दिव्य चैतसिक उघाडनी घडीओ नजीक आवी छे.
___ "आजे जेमनुं बहुमान थशे से त्रणेय विद्वान महानुभावो अकथी वधु भाषाओ जाणे छे, शब्दना अनुशासनमा रहेनारा छे, शब्दविवेकने पूरेपूरो पिछाणनारा छे, त्रणे य साचा ब्राह्मणो छे. श्रेष्ठिरूप धरीने-शामळशा शेठ बनीने भगवाने पोते नरसैयानी सेवाभक्ति स्वीकारेली, अने अेक शब्दना सर्जकनुं सन्मान करेलुं. आम आजे समस्त भारतवर्षना श्रेष्ठिवर्यनी हाजरीमां, सन्तपुरुषोना सान्निध्यमां, गुजरातना ख्यातनाम प्रकाण्ड पण्डितोना हस्ते आ त्रणे विद्यापुरूषोनुं सन्मान थशे.
"पूज्य आचार्यश्री विजयसूर्योदयसूरिजी महाराजसाहेब तथा पूज्य आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी महाराजसाहेब द्वारा साहित्य अने संशोधनना क्षेत्रमा ओक अतिमहत्त्व- कार्य मे थइ रह्यं छे के, गुजराती भाषा-साहित्यना संशोधन/अध्ययन/अध्यापन साथे जोडायेला नवी पेढीना सर्जको-संशोधकोने आपणा प्राचीन जैन-जैनेतर साहित्यनी दिशामां दोरीने रस लेता करवा. गोधरा, महुवा, सुरत, तगडी अने अमदावादमां आ पहेलां योजायेला परिसंवादो तथा साहित्यगोष्ठिओ अने, पूज्य शीलचन्द्रजी महाराजसाहेबना विद्यातपथी पुष्ट थता जता 'अनुसन्धान'नो बावनमो अंक ओनी शाख पूरे छे. केटलीये निष्क्रिय कलमोने फरी चेतनवन्ती बनाववानुं कार्य तेमना द्वारा थतुं रडुं छे. संशोधनक्षेत्रनी