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तेवा भाषाविदो अने शास्त्रज्ञो क्यां छे ? मध्यकालीन कृतिओमां आवता नवा नवा शब्दोनां मूळ, तेनी व्युत्पत्ति अने तेना अर्थ सुधी जई शके एवा प्रमाणभूत व्याकरणशास्त्रीओ अने भाषाशास्त्रीओ क्यां छे ? आगमादि ग्रन्थोमां कयो पाठ असल कर्तानो छे अने कयो प्रक्षिप्त छे तेनो निर्णय करी शके, तथा कई गाथा नियुक्तिनी वा भाष्यनी छे तेने विषे ऊहापोह करी शके तेवा पण्डितो हवे क्यां छे ? अने आ केवळ गुजरातनी ज के जैनोनी ज समस्या छे तेवू नथी. आ समस्या समग्र देशनी छे; राष्ट्रीय समस्या छे आ.
___ ताजेतरमां ज अमदावादमां 'हस्तप्रतविद्या' विषे एक राष्ट्रीय संगोष्ठी योजाई गई. तेमां आवेलां, नेशनल मेन्युस्क्रिप्ट मिशन'ना डायरेक्टर डॉ. दीप्ति त्रिपाठीए पोताना वक्तव्यमां जे कह्यु, ते उपरोक्त निराशाने समर्थन आपनारुं छे. तेमना शब्दो ता. २-८-१०नां अखबारो अनुसार आवा छे :
"हस्तप्रतोने लगता देशभरमां विराट स्तरे चाली रहेला कार्यमां क्यांय आर्थिक संसाधननी कमी नथी. परन्तु जो कोई कमी छे तो ते लिपिओने उकेली तेमां ऊंडा ऊतरी तेनो अभ्यास करवा अने लोको समक्ष मूकवा माटे सक्षम विद्वानोनी छे. ...हस्तप्रतो वांची शके तेवा, तेनो अर्थ जाणीने समजी शके अने प्रकाशन करी लोको सुधी पहोंचाडी शके तेवा विद्वानोनी अछत ए मोटी समस्या छे."
विद्वानोनी तंगीनी असर केवी पडे छे तेनो एक ज नमूनो जोईए :
'नेशनल मिशन फॉर मेन्युस्क्रिप्ट' ए भारत सरकारे स्थापेल राष्ट्रीय संस्था छे. आवी मातबर संस्था पासे पोतानुं भवन होय, मोटी संख्यामां स्टाफ होय तथा बीजी तमाम सामग्री-सुविधा होय ज. परिणामे तेनी कामगीरी केवी नेत्रदीपक होय, होवी जोईए ! परन्तु वास्तविकता कांईक जुदी ज होय तेवो व्हेम पडे तेवू छे.
___NMM. ना उपक्रमे Kriti Rakshana नामे एक त्रैमासिक सामयिकर्नु प्रकाशन थाय छे. मारी सामे तेनो ताजो आवेलो अंक छे. तेना पर लखेलुं छे : Vol. 3 No. 5& 6, Vol. 4 No. 1-4, April 2008-March 2009. एक ज अंकमां छ-छ अंकोनो समावेश ! प्रकाशन करवानुं मेटर नहि होय माटे आम थतुं-थयुं हशे के पछी कार्यकरोनी खोट हशे? अजाण वाचकोने, आ स्थितिमां,