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________________ सप्टेम्बर २०१० ११५ अणुरूप छे. कालद्रव्य कालाणुओ छे. ते संख्यामां असंख्यात छे. लोकाकाशना असंख्यात प्रदेशोमांथी प्रत्येक प्रदेश उपर ओक ओक कालाणु सदा रहेलो छे.१ आ कालाणुओ क्यारेय जोडाता नथी अने स्कन्ध बनावता नथी. तेथी तेमनो तिर्यक्प्रचय (Spatial extension) संभवतो नथी. अने जे द्रव्यने तिर्यक्प्रचय संभवतो न होय ते अस्तिकाय न कहेवाय. आम काल द्रव्य छे पण अस्तिकाय नथी'. द्रव्यो छ होवा छतां अस्तिकायो पांच छे. प्रत्येक कालाणु सतत परिणामो पाम्या करे छे. आ परिणामो अत्यन्त सूक्ष्म छे अने क्रमिक छे. आ परिणामोनो सतत प्रवाह चाल्या करे छे. आ परिणामो विशृंखल नथी परन्तु कालाणुनुं कालद्रव्य तेमां अक सूत्ररूपे अनुस्यूत छे. अटले कालाणुने ऊर्ध्वप्रचय (temporal extension) छे. कालाणुनो नानामां नानो सूक्ष्म परिणाम समय कहेवाय छे. अेक पुद्गल परमाणुने मन्द गतिथी अक आकाशप्रदेशने पार करतां जेटलो समय लागे तेने 'समय' कहेवामां आवे छे.३ अहीं गतिने मन्द विशेषण आपवा पाछळy कारण छे अने ते ए के तेम करवाथी अन्य मान्यताओ साथे आवतो विरोध अटके छे. प्रत्येक कालाणुने अनन्त समयो छे'. कालाणुओ निष्क्रिय छे, अर्थात् गतिक्रियारहित छे. जो के तेमनामां परिणमनरूप क्रिया छे. तेमना विनाशनो कोइ हेतु न होइ तेओ नित्य छे. प्रत्येक कालाणुमा प्रत्येक समये उत्पाद, व्यय अने ध्रौव्य त्रणेय होय छे. कालाणुमां रूप आदि भौतिक गुणो न होवाथी ते अमूर्त छे. अन्य द्रव्योने पोतानां परिणमनो माटे सहायक कारण तरीके कालद्रव्यनी आवश्यकता छ ज्यारे कालद्रव्यने पोतानां परिणमनो माटे कोइ सहायक कारणनी आवश्यकता नथी. अमेय सूक्ष्ममां सूक्ष्म परिणमन (वर्तना) लक्षणवाळो कालाणुद्रव्यरूप निश्चयकाल छे'. आ मुख्यकाल छे. बीजो व्यवहार काल छे. व्यवहारकाल सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र, तारागणए ज्योतिष्कोनी गतिथी गणाय छे. आ समय, आवलिका आदि तरीके ओळखाय छे. ते क्रियाविशेषथी परिच्छिन्न थयेलो अन्य अपरिच्छिन्न पदार्थोना परिच्छेदनुं कारण बने छे. ज्योतिष्को मनुष्यक्षेत्रमा छे तेथी आ व्यवहारकाल केवळ मनुष्यक्षेत्रमा छे. [ज्योतिष्काः सूर्याचन्द्रमसौ ग्रहनक्षत्रप्रकीर्णतारकाश्च । मेरुप्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके । तत्कृतः कालविभागः। - तत्त्वार्थसूत्र,
SR No.520553
Book TitleAnusandhan 2010 09 SrNo 52
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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