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सप्टेम्बर २०१०
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जीव अने पुद्गल द्रव्यो पोताना स्वभावथी ज गति अने स्थिति करवा शक्त होवा छतां माध्यम तरीके धर्म अने अधर्म द्रव्यो, तेमने गति अने स्थितिमां सहायक कारणो न होय तो गति अने स्थिति करी शकता नथी तेम पांचे द्रव्योना सूक्ष्म अप्रत्यक्ष परिणामो (वर्तना) पण पांचे द्रव्योने काल सहायक कारण तरीके उपलब्ध न होय तो थाय नहि. आम धर्म-अधर्मनो अने कालनो समान योगक्षेम होई जो कालने द्रव्य तरीके न स्वीकारवामां आवे तो धर्मअधर्मने पण द्रव्यो तरीके न स्वीकारवानी आपत्ति आवे. (३) कालद्रव्य नियामक न होय तो क्रमभावी परिणमनो ओक समये ज थई जाय. (४) शेष सघळां कारणो होय पण कालद्रव्य न होय तो आम्रवृक्षने फळ आवे नहि ओटले आम्रवृक्षने फळवा माटे कालद्रव्यनी अपेक्षा छे. (५) कालद्रव्य न होय तो तेना विशेषो समय आदि, भूत आदि न होय. (६) सामासिक नहि अवा शुद्ध पद 'काल'ना वाच्य तरीके कालद्रव्यनुं अनुमान थाय छे. (७) 'ओदनपाक काल' अवा प्रयोगमां 'काल' संज्ञानो क्रिया उपर अध्यारोप थयो छे. 'काल'नो आवो गौण औपचारिक प्रयोग मुख्य कालद्रव्यनुं अस्तित्व सूचवे छे. (८) सूर्यनी गति द्रव्योनी वर्तनानुं सहायक कारण न होइ शके, केम के सूर्यनी गतिमां पण 'भूत' 'वर्तमान' 'भविष्यत्' आदि कालिक व्यवहार थतो जोवामां आवे छे. सूर्यनी गति पण क्रिया छे. ते पण सूक्ष्म परिणामो (वर्तना)थी घटित छे. कालने तेमना सहायक कारण तरीके मान्या विना तेओ घटी शके नहि. आम सूर्यनी गतिने पोताने ज सहायक कारण तरीके कालनी अपेक्षा छे. (९) आकाशने ज वर्तनानुं सहायक कारण गणी कालनो अस्वीकार थई शकतो नथी. जेम तपेली चोखानो आधार छे, पण पाकने माटे तो अग्निनो व्यापार जोईओ, तेवी ज रीते आकाश वर्तनायुक्त द्रव्योनो आधार तो बनी शके छे पण वर्तनानी उत्पत्तिमां सहायक कारण बनी शकतुं नथी. तेमां तो कालनो ज व्यापार जोइओ. (१०) सत्ता जो के सर्व पदार्थोमां रहे छे, साधारण छे, परन्तु वर्तना सत्ताहेतुक न होई शके, कारण के वर्तना सत्तानो पण उपकार करे छे. कालथी अनुगृहीत वर्तना ज सत्ता कहेवाय छे. तेथी कालद्रव्य पृथक् मानवू जोइओ. (११) केटलाक कहे छे के क्रियामात्र ज काल छे, काल क्रियाथी भिन्न नथी. बधो ज कालव्यवहार क्रियाकृत ज छे, अक क्रिया बीजी क्रियाथी परिच्छिन्न बनीने त्रीजी क्रियाना परिच्छेदमां कारण बने छे, ओटले क्रिया ज