SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२ ( २ ) पत्र - १ ले. डॉ. नगीनभाई जी. शाह अनुसन्धान ५२ पू. आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी, भावपूर्वक वन्दना. आपे काल विशेनो तर्करहस्यदीपिकामांथी जे संस्कत फकरो मोकल्यो छे तेना गुजराती अनुवादनी कोई जरूरत नथी, कारण के संस्कृत तद्दन सरळ छे. समस्या भाषानी नथी परन्तु विचारनी छे. तेमां स्पष्ट विरोध छे. मनुष्यक्षेत्र बहार द्रव्योने वर्तना (अतिसूक्ष्म परिणाम) मां कालनी सहायक कारण तरीके आवश्यकता न होय तो मनुष्यक्षेत्रवर्ती द्रव्योने केम ? आवो मत मारा जोवामां क्यांय आव्यो नथी. वळी, प्राण- अपान आदि क्रियाओना युगपद् या क्रमिक थवानी जे रीते वात करी छे ते गळे ऊतरे एवी नथी. आ बधामां मोटो गोटाळो छे. नीचे विस्तारथी काल विशे लखुं छं, तेमांथी कदाच गोटाळो पकडाय. आवश्यकचूर्णि (रतलाम आवृत्ति) मां पृ. ३४० - ४१ पर त्रण मतो आप्या छे (१) काल गुण छे, (२) काल पर्याय छे, (३) काल द्रव्य छे. काल गुण छे - ए मतनुं विशेष विवरण मऴतुं नथी. काल पर्याय छे ए मत आवश्यकनिर्युक्ति (आगमोदय) ३७मां, विशेषावश्यकभाष्य गाथा २०२७, २०३२, २०३३, २०३५मां, लोकप्रकाश १८.५.११-१३मां, सिद्धसेनगणिकृत तत्त्वार्थटीका ४.१५ (पृ. २९०)मां अने द्रव्यानुयोगतर्कणा (१०.१८-१९)मां निरूपायो छे. द्रव्योनां परिवर्तनो उपरान्त काल जेवुं कंइ ज नथी, परिवर्तनो ज काल छे, अने परिवर्तनो (पर्यायो ) अने द्रव्य वच्चे कथंचित् अभेद होइ परिवर्तनोने ज कालद्रव्य कहेल छे. - - काल द्रव्य छे ए मत दिगम्बरो अने केटलाक श्वेताम्बरोनो छे. कालनी द्रव्य तरीके स्थापना माटेना मुख्य तर्को (१) द्रव्योमां सतत था रहेता सूक्ष्मातिसूक्ष्म अप्रत्यक्ष परिणामो ( वर्तना) ना सहायक कारण तरीके काल- द्रव्यनी आवश्यकता छे. ते सिवाय आ परिणामो न घटे (२) जेम
SR No.520553
Book TitleAnusandhan 2010 09 SrNo 52
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy