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डिसेम्बर २००९
छाजत ग्यान गुन छत्तीस, वांणी धार गुण पैतीस । साधु सेवते नित पाय, मनसुध गावते गणराय । पुरमै वरण वसते च्यार, धरते सदा गुरुसुं प्यार । करता राजका नित काम, कायम कुलंबी रिदैराम | चित सुध भक्त है जिनदेव, सारै सदा मनसुध सेव । गोडीरायजीको दास, परचो पूरवै नित आस । इहविध सांभलो सब कोय, जगमै जागतो जिन जोय । इतनी गजल मै गाईक, कवीजन सुनत मन भाई ||१||
॥ अथ छप्पय ॥
अकलवान गुनवांन । जांन जसवांन दांन हित । मांन मुदै निज स्वांम । कांम सब धांम प्रदापित । सकल काज सिद्ध साज । राज नित नीत चलावत । पावत धर्म्म प्रबोध । सोध साधु मन भावत । इह प्रगट कलंबी वंसमै । रिदयराम साहिब सखी । गाजल्दिखांन निब्बाबकै । कांमदार रहिज्यौ अखी ॥१॥ सं १८६२ वर्षे मृगशुदि ५ ॥ श्री परमैश्वरजी जीते छे ॥
स्वस्त श्रीराधणपुर सुधाने सरबओपमा विराजमान अनेकगुणनीधांन एकवीध असंजमना टालीक दुवीध धरमना परकासक तीन ततवना जांण च्यार कषाय निवारक पांच माहाव्रत पालक खटकायना पालक सात भेय नीवारक आठ मद जीपक नव वाड ब्रीमचारजना धारक दसवीध जती धरमना धारक इतादि छतीस गुणे करी वीराजमान अनेक ओपमालायक सकलभटारक - पुरांदर सकलभटारकसीरोमणी भटारकजी श्री श्री १०८ श्री श्री श्री श्रीविजैजीनांद्र सुरीसरजी चणकमलावनु श्रीजौधपुरथी तपगच्छरा सांमसत सीघ लीखावतां वनणा ऐकसो १०८ सदेव तीरकाल अवधारसी । अगरा सांमाचार श्रीजी सायबोरी कीरपा कर भला छौ श्री गुरुदैव छो मोटा छौ सदा सीघ उपरे सुभ नीजर धरमसनेह राखो छो तीणथी वीसेष रखावसी जी । श्री श्री श्रीसायबोरी दरसणह श्रीचरणकंवल
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