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अनुसन्धान-५०
जिनवर मांनता शुभ ध्यान, सतरै देहरै गिण ग्यांन । फबते फूटरै बाजार, हाटां सोभते हजार ।। तिसमै बैठते बहु साह, करते विणज मन उछाह । मुखमल मैहमुदी मजूब, खासै बासते बहु खूब । थिरमे पांभडी पटकूल, देख्यां होत मन मुखतूल । रेसमी सूतरु अतिचंग, कपडे बेचते मनरंग । केसर वासते कच्चूर, महिकै स्यांम ही किस्तूर । हिमरु ताफताके थान, विकते नवनवे कपडान । जरकस वादले भी जोय, गोटा तार कोरां कोय । हूंडी लिखत हूंडीवाल, मेलत द्वीपकुं के माल । रुपीया मोहरां व्यापार, वाणिज रोकडा व्योहार । तिन विच राजकै कमठांन, सायर चौतरै सुभ जांन । राजा राजते निब्बाब, करते न्यायके जब्बाब । हयवर हींसते हणणाट, गयवर गाजते गणणाट । थंभे गगन के दलथाट, वहते पंथ निरभय वाट । अदल नीत है ऐसीक, त्रैता युग्ग की तैसीक । तिनका सोभते अतिमहल, तिसमै करत है बहु सहल । तिनकै निकट है रंगवाग, दाडिम करमदा फल लाग । केवड केतकी करणा क, नींबू पीलरै वरणा क । गहरै जलभरै दरीया क, तिण पर हंस बग खरीया क । इण पर सोभते ससी नूर, वसती बहूत है भरपूर । करते राजहु जिण थांन, फरजन पूंगडाकी खांन । ऊंची हवेल्यां अनहद्द, पेखज उपजै मनमद्द । आलय अवल ही कमठांण, दोनुं निकटवर्ती जाण । विजै देवसूरिजी परमाण, सागर सूरीया पहचांण । आलय ओपतो सुध मान, गछपति राजते राजान । तपगछ पाटनायक देख, मनसुख उपजै संपेख । जिनइन्द सूरिजी है नाम, गादी वीरकी अभिराम ।
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