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________________ अनुसन्धान ४३ ७९ ____ नानी रायणमांथी मळेली, रोमन अने मध्यपूर्वमां बनेली वस्तुओने कारणे तेमज आ स्थळ युरोप अने मध्य पूर्व साथे वहाणवटा द्वारा जोडायेखें होवाथी आ प्रकरण महत्त्वनुं बने छे. ते समयना जहाजो, तेमना द्वारा लेवामां आवतो मार्ग अने व्यापारी पवनोनो तेओ कई रीते उपयोग करता तेनुं वर्णन आ प्रकरणमा करवामां आव्युं छे. पांचमा प्रकरणमा संशोधन स्थळ - नानी रायण वर्णन करवामां आव्युं छे. छठ्ठा प्रकरणमां लेखके शोधेला पुरावशेषोनुं विस्तृत वर्णन करवामां आव्युं छे. २ मी.मी.ना, पांच हजार वर्ष जूना मणकाथी मांडीने ४०० किलो अनाज रही शके तेवी मोटी कोठी अने रोमथी आयात थयेला दारू (सुरा) नां वासणो, अनाज दळवानी रोमन घंटी जेवी असंख्य नानी-मोटी वस्तुओर्नु विवरण करवामां आव्युं छे. आ तमाम पुरावशेषोनी रंगीन तसवीरो पण अहीं दर्शाववामां आवी छे. सातमा प्रकरणमां गुजरात तेमज समग्र भारतमां थयेल समकालीन संशोधन साथे तेमणे पोताना संशोधननी सरखामणी करी छे. आठमा अने छेल्ला प्रकरणमा लेखक आ संशोधननी, तेमने मळेला पुरावशेषो अने तिहासिक माहितीना परिप्रेक्ष्यमां मूलवणी करे छे. लेखके संशोधन अने पुस्तक लखती वखते, ख्यातनाम इतिहासकारो अने पुरातत्त्वविदोनां पुस्तकोनो अभ्यास कर्यो छे. अने आनो संदर्भ, दरेक माहिती साथे अपायेलो जोवा मळे छे. सुंदर पाना, चीवटभरी छपाई अने उत्कृष्ट रंगीन तसवीरोवाळु आ पुस्तक, इतिहास, पुरातत्त्व, सामान्य ज्ञान अने भारतना भव्य भूतकाळमां रस लेनारा तमाम लोकोने वांचवू गमे तेवू छे. __ आ पुस्तक मेळववा माटे डो. पुलीन वसा, मांडवी (कच्छ) नो ०९८२५५६४४४४ आ नंबर पर संपर्क करी शकाय. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520543
Book TitleAnusandhan 2008 03 SrNo 43
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages88
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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