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मार्च २००८
नवां प्रकाशनो
१. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रम्
कर्ता : विमलाचार्य; सं. मुनि जिनेशचन्द्रविजयः; प्र. रान्देर रोड जैन संघ, सूरत; इ. २००८, वि. २०६४
सम्भवतः १३मा शतकमां विद्यमान, मलधारगच्छीय श्रीविमलसूरिनी आ गद्यात्मक रचना छे. तेनी उपलब्ध बे ताडपत्र-प्रतिओना आधारे थयेनु आ सम्पादन प्रकाशित थतां एक महत्त्वपूर्ण चरित्रग्रन्थ सुलभ बने छे. आ ग्रन्थ अपूर्ण उपलब्ध थयो छे. १९मा जिन मल्लिनाथना चरित्रवर्णन आगळ ते अटकी गयो छे. अलबत्त, ग्रन्थ तो पूर्ण रचायो ज होवो जोईए, परन्तु तेनी पोथी अधूरी प्राप्त थई छे तेम लागे छे. अभ्यासपूर्ण भूमिका लेख तेमज सन्दर्भात्मक परिशिष्टो द्वारा ग्रन्थने वधु उपयुक्त बनाववानो सम्पादकनो प्रयत्न प्रशस्य छे.
२. वैभव और वैराग्य :
ले. राकेश पाण्डेय, प्र. प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मन्त्रालय, भारत सरकार, न्यु दिल्ली;ई. २००७
जैन धर्मना २४ तीर्थङ्करोनां जीवनचरित्रो तथा ऐतिहासिक - पौराणिक तथ्योतुं हिन्दी भाषामां सरस प्रतिपादन करतो ग्रन्थ. मळती जाणकारी प्रमाणे, जैन धर्मविषयक कोई पुस्तक, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित थवानो आ प्रथम प्रसंग छे. जैनोनी श्वेताम्बर - दिगम्बर ए बन्ने धाराओने न्याय आपवानो समुचित तथा विवेकपूर्ण प्रयास ए आ पुस्तकनी विशेषता जणाय छे.
३. मङ्गलवादसङ्ग्रहः सं. मुनि वैराग्यरतिविजय; प्रका. प्रवचन प्रकाशन, पूना; ई. २००७
जुदा जुदा जैन - अजैन नैयायिक ग्रथकारोए लखेल 'मङ्गलवाद'नो सङ्ग्रह आ ग्रन्थमा करवामां आव्यो छे. प्रारम्भे विस्तृत अभ्यासात्मक प्रस्तावना घणी उपयुक्त सामग्री पूरी पाडे छे.
उपाध्याय सिद्धिचन्द्रगणिए 'मङ्गलवाद' नामक स्वतन्त्र ग्रन्थ ज रच्यो
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