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________________ October-2007 पादपूर्तिमयं स्तोत्रपञ्चकम् अमृत पटेल - रघुवंशपदद्वयसमस्यानिबद्धं युगादिजिनस्तवनं तदवचूरिश्च मुनि रत्नसिंह अमृत पटेल - रघुवंशपदत्रयसमस्यानिबध्धं श्रीवीतराग । __ स्तवनम् मुनि रत्नसिंह अमृत पटेल - भक्तामरपादपूर्तिमयं ___ आदिजिनस्तोत्रम् महीसमुद्रगणि अमृत पटेल - संसारदावा० पादपूर्तिमयं महावीरस्तोत्रम् ज्ञानसागरसूरि अमृत पटेल - आनन्दानम्र० पादपूर्तिरूप श्रीशान्तिजिनस्तवनम् ज्ञानसागरसूरि अमृत पटेल - अवचूरि, रघुवंशसमस्यास्तोत्रस्यादिमस्य अमृत पटेल - अवचूरि, (२) रघुवंशसमस्यास्तोत्रस्याद्वितीयस्य अमृत पटेल ३८ ३२ - भक्तामरपादपूर्तिस्तोत्रटिप्पण अमृत पटेल ३८ ३३ प्राकृत-अंग्रेजी बृहद् कोषका निर्माण डॉ. नलिनी जोशी २९ ९१ प्रो. जेकोबीना पत्रनो उत्तर मुनि नेमिविजय-मुनि आनन्दसागर ४१ २२ भवस्थितिस्तवन लक्ष्मीमूर्ति डॉ. कान्तिभाई शाह २८ ४२ भावप्रदीपः कवि हेमरत्न विनयसागर 'भुवनसुन्दरीकथा'की विशिष्ट । बातों का संक्षिप्त अवलोकन ३४ ३५ भिक्षाविचार : जैन तथा वैदिक दृष्टिसे डॉ. अनीता बोथरा ४० महोपाध्याय श्रीयशोविजयजीनी बे रचनाओ मुनिधुरन्धरविजय ३३ १ - सुविधि-पार्श्वजिनस्तव (अपूर्ण) ३३ २ - शङ्केश्वर पार्श्वजिनस्तुति मानदत्तआदि मुनिकृत विविध स्तवन सज्झायो साध्वी समयप्रज्ञाश्री ३५ ५९ माहिती : मानवसर्जित दुर्घटनानो भोग बनेल एक विद्यातीर्थ शी. २७ ८९ - आश्वस्त करे तेवो वास्तविक वृत्तान्त (पूरवणी) २७ ९३ माहिती : भाण्डारकर शोधसंस्थान विषे शी. २८ ९९ माहिती : नवां प्रकाशनो २९ १०३ माहिती ३१ ६७ ३९ ७६ لا هم به سه م Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520541
Book TitleAnusandhan 2007 10 SrNo 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages70
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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