SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'शी. ३७ ७१ AL W ६२ अनुसन्धान-४१ माहिती : स्मृतिशेष विद्वज्जनो ३२१०१ माहिती : नवां प्रकाशनो ३५ ८३ - पुस्तक विमोचन समारोह तथा संगोष्ठि ३५ ८५ माहिती : नवां प्रकाशनो माहिती : एक स्पष्टता माहिती : भारतीय योग परम्परा के परिप्रेक्ष्यमें जैन योगविषयक त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठीका पहलीबार आयोजन माहिती : नवां प्रकाशनो मुनिमाला वा.सकलचन्द्रगणि शी. मूर्तिपूजा प्रतिपादक बे लघु रचनाओ आ. विजयोदयसूरि शी. - मूर्तिपूजायुक्तिबिन्दु ३१ २ - मूर्तिमन्तव्यमीमांसा मेघकुमारगीत कवि पूनपाल रसीला कडिया २७ मेघदूतप्रथमपद्यस्याऽ भिनवत्रयोऽर्थाः महो.समयसुन्दर विनयसागर ३२ २७ मेघदूत-खण्डना पं. मानसागर शी. ३२ ३८ मेदपाटदेश तीर्थमाला हरिकलश यति विनयसागर ३६ ३८ रागमाला : शान्तिनाथस्तवन मुनि सहजविमल शी. ३३ ६३ (श्री)लाभानन्द (आनन्दघन) जी कृत बार भावना आनन्दघन शी. ३५ १५ लाभोदयरास (वाचना बीजी) पं. दयाकुशल शी. लिङ्गप्राभृत, शीलप्राभृत, बारस अणुवेक्खा और प्रवचनसारकी भाषा के कतिपय मुद्दों का तुलनात्मक अभ्यास डॉ. शोभना शाह २८ ३६ वर्धमानाक्षरा चतुर्विशतिजिनस्तुतिः लक्ष्मीकल्लोलगणि विनयसागर ३४ १ वसुदेव चुपई हर्षकुल रसीला कडीआ २८ ५१ वाचक प्रमोदचन्द्रभास करमसीह विनयसागर ३० १ वासुपूज्यजिनपुण्यप्रकाशस्तवन वा. सकलचन्द्र डॉ. शोभना शाह ३० १५ २७ २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520541
Book TitleAnusandhan 2007 10 SrNo 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages70
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy