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________________ ५४ अनुसन्धान-४१ देवनागरी लिपिमा उ अने ओ वच्चे नजीवो फर्क राखवामां आवतो, ने ध्यानमां न लेवाय तो आवी भूल थई शके. स्तो. ६, गा. ३ : ‘यतिवो' छपायु छे. अहीं 'य निवो' एवो पाठ सुसंगत थाय. न-त ना वाचनमां आवी गरबड थती होय छे. ति समजी लीधा पछी 'यति' पाठ मनमां बेसे ए स्वाभाविक छे. आम एक खोटो पाठ बीजा गोटाळानुं निमित्त बनी जाय. आवा प्रसंगे अर्थनी संगति थाय छे के नहीं - ए होवाथी क्षति निवारी शकाय. स्तो २२, गा. १ भुओ नहि पण चुओ. स्तो. २३, गा. १ मां मात्रा खूटे छे. '. मोहं [जण-]मणुग्गहिउं ‘एवो पाठ विचारी शकाय. स्तो. २३, गा. २मां ०वम्माण छे त्यां ०वामाण वांचq जोईए. 'सूक्तमाला' काव्यरसिकोने प्रसन्न करी दे एवी रचना छे. व्यवहारज्ञान साथे काव्यरस आमां माणवा मळे छे. आदिनाथस्तोत्र अने पार्श्वनाथस्तोत्र द्वारा स्तुति-स्तव-स्तोत्रना भण्डारमां नवो उमेरो थाय छे. रचनामां प्रौढता छे. केटलांक स्तोत्रो ते ते परम्परा-गच्छसमुदायमां सारा एवा समय सुधी गवाता रह्यां होय अने पछी विस्मृतिमां धकेलाई जाय एवं बनतुं होय छे. ___'आदिनाथबाललीला' लावणी नथी पण 'सलोको' के 'हालरडु' प्रकारनी रचना छे. आवी रचनाओ, माधुर्य एना गान समये ज अनुभवातुं होय छे. आजे जोके भाषा-जीवनशैलीना अन्तरने कारणे ए शक्य न बने. समाजजीवनना अभ्यासीने बसो-त्रणसो वर्ष पूर्वेना गुजरात प्रदेशना वस्त्रअलंकारफळफूल-नास्ता-खानपान-मुखवास- बिछानां जेवी वस्तुओनी एक समृद्ध सूचि आ कृतिमाथी मळी रहे. ___रूपचन्द्रकृत 'पंचकल्याणकानि' दिगम्बर सम्प्रदायानुसारी होवा छतां श्वेतां. मुनिए तेनी नकल ऊतारी छे ए तथ्य साहित्यविश्वमा सुज्ञजनोने वाड़ासीमाड़ा नडता नथी एवो संदेश आपी जाय छे. सम्पादकश्रीए नोंधमां लख्यु छे के "त्रोटक अने हरिगीत ए बे छन्दोमां समग्र कृति रचाई छे." ह.प्र.मां 'हरिगीत' एवो उल्लेख थयो जणातो नथी. आवी शृंखलाबद्ध रचनाओ घणी मळे छे. एमां दरेक कडी त्रोटक-चलती अथवा ढाळ-उलालो एवा बे भागमां वहेंचायेली होय छे. चलतीनुं बंधारण हरिगीत जेवू ज जणाय छे, परंतु तेनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520541
Book TitleAnusandhan 2007 10 SrNo 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages70
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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