SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीदयाकुशलकृत लाभोदय रास ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि तपगच्छनायक श्रीविजयसेनसूरि महाराजना शाह अकबर साथेना मेळापने अने ते प्रसंगे थयेल जीवदयानां कार्योंने केन्द्रमां राखीने रचवामां आवेलो आ रास पण त्रुटक छे, अने अद्यावधि अप्रगट छे. लगभग अज्ञात छे. 'सूरीश्वर अने सम्राट् ' मां मुनि विद्याविजयजीए आना विषे नोंध्युं होवानी स्मृति छे. आनी जेरोक्स पण शिवपुरी (म. प्र. ) ना ग्रन्थसंग्रहमांथी ज प्राप्त थई होवानुं झांखुं स्मरण छे. आनी अन्य हस्तप्रति कशेय होवानुं जाणमां नथी. कुल ९ पानांनी प्रतिमां ५-६ - ७ ए त्रण पत्रो छे ज नहि. तेथी रचना त्रुटक रूपमां ज उपलब्ध छे. कर्ता मेघविजय शिष्य पं. कल्याणकुशलजीना शिष्य पं. दयाकुशल मुनि छे, तेवुं छेल्ली कडीओ जोतां स्पष्ट थाय छे. दयाकुशलजीए रचेल 'पदमहोत्सव रास' (सं. १६८५) विषे तथा 'हीरसूरिस्वाध्याय' (प्रकाशित) विषे नोंध मळे छे. तेओनो सत्तासमय १७ मा शतकनो पश्चार्ध होय तेम पण ते नोंध परथी जणाय छे. आ रासमां रचनासमयनो निर्देश कर्यो नथी. छतां तेनी रचना विजयसेनसूरिमहाराजनी विद्यमानतामां ज थई होय; अथवा तो आ समग्र घटनाक्रमना कर्ता स्वयं साक्षी पण रह्या होय अने तेमणे आंखे देख्यो हेवाल आ रासरूपे लख्यो होय, तेवी शक्यता वधु लागे छे. Jain Education International रासनो आरंभ विजयसेनसूरिना देह-गुण-वर्णन करतां दूहाथी थाय छे. 'विजयवल्ली रास'मां वर्णव्या प्रमाणे अहीं पण वर्णन छे के, गुरु राधनपुरमा हता अने अकबरनुं तेडुं आयुं छे. कड़ी क्र. १२ थी २१ अकबरशाहना प्रतापनुं वर्णन छे. अने कडी २३ थी २९मां लेभागु जोगीफकीरो प्रत्येनी शाहनी अरुचि वर्णववापूर्वक ३० थी ३९ मां 'हीरगुरु' ने याद करीने तेमना साचा संन्यासना शाहे करेला वखाणनुं बयान छे छेवटे शाह शेख (अबुल फजल ) ने 'हीरगुरु' ने मळवानी पोतानी इच्छा जणावे छे, त्यारे शेख हीरगुरुना तेमना जेवा ज श्रेष्ठ साधु-शिष्य 'विजयसेन' नुं वर्णन करी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520525
Book TitleAnusandhan 2003 07 SrNo 25
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages116
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy