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अनुसंधान-२२ २. राजाए भजन पण करवू घटे, ते सूचवतो रामरक्षा स्तोत्रनो श्लोक-चरितं
रघुनाथस्य० वडे बेसरो हारबन्ध : रत्न २. ३. राजा दुष्टने दंडे, शिष्टने रक्षे, ओ नीति विषे सुभाषित-दधिचन्दनतम्बोलं०
ओ वडे बीजो बेसरो हारबन्ध : रत्न ३. ४. राजाओ व्याकरणादि भणवू जोईए ते अंगे सारस्वत व्याकरणनो प्रथम
श्लोक-प्रणम्य परमात्मानं० ओ वडे वज्रबन्ध : रत्न ४. . राजाए हरिरस चाखवो जोईए ए विषे बिहारी कविनो दोहरो-मेरी भवबाधा हरो० ए वडे धनुषबन्ध : रत्न ५. राजाने गूढ समस्या आवडवी जोइए ते अंगे-दधिसुतके० ए वडे धनुषबन्ध : रत्न ६.. राजाए दयापूर्वक वेदवाणी सांभळवी, ए विषे दोहरो-धाता बांनी चो
मुखी० ए वडे पहाडबन्ध : रत्न ७ ८. राजा द्रोहीथी दूर रहे, दीवान राखे, ए नीति विषे गाथा-नासइ जूएण
धणं० ए वडे पहाडबन्ध : रत्न ८. आम ८ राजनीतिनां ८ रत्न थाय. ९. भूपति मानि मर्दन० ए खंड कलीबन्ध : रत्न ९; १०. अविचल तप तेज० ए खंड कलीबन्ध : रत्न १०; ११. श्रीमानराजगंगा० ए श्रीपुष्करणीबन्ध : रत्न ११; १२. पटप्रधान मानसंग० ए लहेरबन्ध : रत्न १२; १३. मानराज समशेर० ए पुष्करणीबन्ध : रत्न १३; १४. मानराज कुंभ घट० ए छडीबन्ध रत्न १४.
आ १४ बन्ध एक समुद्रबन्ध थकी प्रगट छे, तेमां कविनी अद्भुत रचनानिपुणता व्यक्त थाय छे.
आना पछी कवि मोतीदाम नामना छंदमां ७ गाथाओ द्वारा नृपवर्णन करे छे. ते पछी एक कवित्त छे, ते पण राजाना वर्णन- ज छे. छेक छेल्ले तोटक छंदमां संस्कृत भाषामां अर्घसमस्यारूप काव्य वडे कविराज, दिनकर, दामोदर, त्रिपुरा, सुरपति, सोमेश्वर अने नगराजा आ बधा देवो राजानी रक्षा करो तेवी आशीष आपीने कवि काव्यनी समाप्ति करे छे..
. प्रांते आपेली पुष्पिकामां कवि पोतानो परिचय आ प्रमाणे नोंधे छ : तपागच्छमां विजयानन्दसूरि (आणसूर) गच्छमां, गायकवाड राजाए आपेल
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