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प्रकाशन - माहिती
ताजेतरमां थोडांक प्रकाशनो जोवामां आव्यां छे, तेमनो टूको परिचय अहीं आपेल छे : (१) Jaina Theory of Multiple Facets of Reality and Truth
(Anekantavada)
संपादक : नगीन जे. शाह, प्रकाशन : मोतीलाल बनारसीदास, तथा बी.एल. इन्स्टिट्यूट, दिल्ली, ई. २०००
'अनेकान्तवाद' विषे विविध विद्वानोए लखेला (अंग्रेजी) अभ्यासपूर्ण लेखोनुं सरस संकलन-संपादन. (२) The Jaina Path of Purification
.ले. पद्मनाभ एस. जैनी, प्रकाशन : मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, पुनर्मुद्रण : ई. २००१
केलिफोर्निया, अमेरिका स्थित, (दिगम्बर) जैन विद्वाने जैन आचार अने सिद्धांतो तथा विविध संप्रदायोने स्पर्शता लेको लखेला, तेनो आ सचित्र संग्रह सर्वप्रथम ई. १९७९मां प्रकाशित थयो हतो. विदेशमां तथा देशमां मळीने आनी पांच आवृत्ति थई छे, जे आ पुस्तकनी लोकग्राह्यता सूचवे छे. (3) Scripture and Community (Collected Essays on the
Jains)
Kendall w. Falkert नामना विदेशी विद्वाने लखेला, जैन धर्मनां विभिन्न अंगोने तथा पासांने स्पर्शता अंग्रेजी निबंधोनो संग्रह(सचित्र) संपादक : John E. Cort.
__ प्रकाशक : हार्वर्ड युनिवर्सिटी, सेन्टर फोर ध स्टडी ऑफ वर्ल्ड रिलीजीयन्स, अमेरिका, ई. १९९३
लेखके मुनि श्रीजंबूविजयजीनी पासे समी अने वेड ए गामोमां जोयेला पर्युषणपर्व- सचित्र वर्णन आलेख्युं छे. 'षड्दर्शन'नुं प्रतिपादन
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