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ट्रॅक नोंध
श्रीहरिभद्रसूरिकृत ‘षड्दर्शनसमुच्चय'ना, पं. महेन्द्रकुमार जैन द्वारा थयेल सटीक-सानुवाद-सम्पादन- (प्र. भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, पंचम संस्करण ई. २०००)ना ग्रंथमां पृ. २१ पर २७मा पेरामां अक्रियावादीओनी वात आवे छे. त्यां "ते च कोकुलकाण्ठेविद्विरोमकसुगतप्रमुखाः" एम पंक्ति छे. तेनो अनुवाद करतां श्रीमहेन्द्रकुमार जैने आ प्रमाणे लख्युं छे : "कोकुल काण्ठेवि द्विरोमक सुगत आदि प्रमुख अक्रियावादी हैं ।" आ स्थले थोडोक सुधारो एम करवो जोईए के "कोकुल काण्ठेविद्धि रोमक सुगत०' 'काण्ठेवि' अने 'द्विरोमक' एवां नाम नहि, पण 'काण्ठेविद्धि' अने 'रोमक' एवां नाम होवां वधु ठीक लागे छे. श्रीहेमचन्द्राचार्यना 'सिद्धहेमशब्दानुशासन'मां एक सूत्र "दैवयज्ञिशौचिवृक्षिसात्यमुग्रिकाण्ठेविद्धेर्वा" (सि. २-४-८२) आq छे. तेमां 'काण्ठेविद्धि' शब्द आवे छे, ते आ अक्रियावादी 'काण्ठेविद्धि', ज सूचन करे छे, एम जणाय छे. वळी, 'द्विरोमक' नाम नबुं छे. 'रोमक' नाम वधु परिचित तथा वास्तविक पण लागे छे.
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