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ओक्टोबर २००२ करती चार जैन रचनाओ विषे पण चार निबंध छे. अन्य पण लेखो, मात्र विषयक्रम उपरथी पण, पठनीय अने अभ्यासपूर्ण हशे, तेम जणाई आवे छे. (४) जैन भाषादर्शन (हिन्दी)
__ ले. प्रो. सागरमल जैन, प्रकाशक : बी.एल.इन्स्टिट्यूट, दिल्ली, ई. १९८६
जैन धर्मना 'भाषा' सिद्धांत उपर आधुनिक शैलीए लखायेलो आ सरस ग्रंथ छे. अनेक शास्त्रो तथा सिद्धान्तोना अभ्यासना परिपाकरूपे तैयार थयेलो आ ग्रंथ तज्ज्ञो माटे विशेष अभ्यसनीय छे. (५) सङ्गीतोपनिषत्सारोद्धारः
कर्ता : वाचनाचार्य श्रीसुधाकलशगणि संपादक तथा अंग्रेजी अनुवादक : ALLYN MINER
प्रकाशक : इन्दिरा गांधी नेशनल सेन्टर फोर ध आर्ट्स, न्यू दिल्ली तथा मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, ई. १९९८
____ मलधारगच्छीय आचार्य श्रीराजशेखरसूरिना शिष्य वा. सुधाकलश गणिए वि.सं. १३८०मां 'संगीतोपनिषत्' ग्रन्थ रचेलो. ते पछी सं. १४०६मां 'संगीतोपनिषत्सारोद्धार' पण तेमणे ज बनाव्यो. बन्ने संगीतशास्त्र-प्रतिपादक रचनाओ हती, संस्कृत भाषानी. बे पैकी प्रथम रचना अनुपलब्ध छे. बीजी रचना जोके ई. १९६१मां वडोदरानी 'गायकवाड्स ओरिएन्टल सिरीज'मां डो. यु.पी.शाहना संपादनपूर्वक प्रकाशित हती ज; परंतु अहीं ते ग्रंथनुं पुनः संपादन, अंग्रेजी अनुवाद सहित प्रकाशित करवामां आव्युं छे. विविध परिशिष्टो पण आपवामां आव्यां छे. (६) पातंजलयोग एवं जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन
ले. अरुणा आनन्द, प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास एवं बी.एल इन्स्टिट्यूट, दिल्ली, ई. २००२
बी.एल.इन्स्टिट्यूटमां उपनिदेशक पदे आरूढ लेखिकाए हिन्दी भाषामां लखेलो आ अभ्यासपूर्ण शोध-प्रबन्ध छे, पठनीय पण.
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