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________________ लोकतत्त्वनिर्णय : एक समीक्षात्मक अध्ययन - जितेन्द्र शाह आचार्य हरिभद्रसूरि विरचित लोकतत्त्वनिर्णय नामनी संस्कृत भाषामय विविध छंदोबद्ध कृतिमां विविध दर्शनसंमत जगतनी उत्पत्ति अने तत्तत् दर्शनसंमत तत्त्वनी चर्चा करवामां आवी छे. आ कृति कदमां लघु होवा छतां महत्त्वपूर्ण छे. तेमां अनेक मतोनी मूळभूत मान्यता अंगे चर्चा करवामां आवी छे. दार्शनिक क्षेत्रे जैन तत्त्वज्ञानीओ अपेक्षा कृत बहु मोडा प्रवेश्या पण एक वार दार्शनिक क्षेत्रे प्रवेश कर्या पछी तो भारतनी अनेक विचारधाराओनुं पूर्वपक्षरूपे निरूपण करवामां आव्युं अने तेनी सक्षम समालोचना पण करी छे. आगमिक युग पछी सर्वप्रथम आचार्य सिद्धसेन दिवाकरसूरिए द्वात्रिंशत् द्वात्रिंशिका अने सन्मतितर्क जेवा ग्रंथोमां गंभीर दार्शनिक चिंतन रजू करेल छे. त्यार बाद जिनभद्रगणि, स्वामी समन्तभद्र, मल्लवादी, सिंहसूरि, आदि जैन दार्शनिकोए महत्त्वपूर्ण खेडाण कर्यु छे. ते ज पंरपरामां आ. हरिभद्रसूरिनुं नाम जैन दर्शनमां खूब ज प्रसिद्ध छे. परंपरानी मान्यता अनुसार तेमणे कुल १४४४ ग्रंथो रच्या हता. आ ग्रंथोमां तेमणे अनेक दार्शनिक, सैद्धान्तिक मतोनी चर्चा करेली तेथी ज तेमने श्रुतकेवलीनी उपमा पण आपवामां आवी छे. आ. हरिभद्रसूरिए अनेक ग्रंथो रच्या छे. तेमां दार्शनिक क्षेत्रे शास्त्रवार्तासमुच्चय, अनेकान्तजयपताका अने षड्दर्शन समुच्चय विद्वत्जनमां सर्वत्र प्रसिद्ध ग्रंथो छे. ज्यारे धर्मसंग्रहणी, लोकतत्त्वनिर्णय, सर्वज्ञसिद्धि आदि ग्रंथो अल्पज्ञात छे. आ उपरांत तेमणे अनेक आगमो उपर विशाळ टीकाग्रंथो रच्या छे. आगमिक प्रकरण, आचार अने उपदेश-विषयक ग्रंथो रच्या छे. योग उपर तो तेमणे चार महत्त्वपूर्ण ग्रंथो रच्या छे. कथा, ज्योतिष अने स्तुतिविषयक साहित्यनी पण रचना करी छे. आ तमाम कृतिओमां तेमनी सर्वतोमुखी विद्वत्ता झळके छे. तेओ कोई पण विषयनी चर्चा करे छे त्यारे तेनां संपूर्ण पासांओ रजू करी सम्यक् समालोचना तो करे ज छ परंतु तेनो खूब ज सुंदर रीते समन्वय रजू करे छे ते तेमनी पोतानी आगवी शैली छे. आ. हरिभद्रसूरिनां जीवन अने साधना विशे तथा तेमना ग्रंथो विशे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520517
Book TitleAnusandhan 2000 00 SrNo 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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