________________
अनुसंधान - १६ 4
भणायांनो अने १०मां १७ प्रकारी पूजा भणायानो उल्लेख थयो छे. ११मां याचकोने दाननी, १२मां साधर्मिकवात्सल्यनी, १३मां चैत्यपरिपाटीनी अने १४मां तातपादना पसाये आ बधुं रूडुं थयानी वात वर्णवी छे.
११५ थी ४१ सुधीनां पद्योमां गुरुनुं वर्णन थयुं छे, जे गुरुभक्तिनो श्रेष्ठ नमूनो पूरो पाडे छे. ४२- ४७ मां तातपादने लेख (पत्र) लखवानी विज्ञप्ति तथा ते माटेनी तीव्र उत्कंठा व्यक्त थई छे. १४८मां पोतानी वन्दना तातपादने सदैव छे तेम निरूपे छे.
१४९ थी १६२ पद्योमां अमदावादना श्रद्धावंत गुरुभक्त श्रावकोनी दीर्घ नामावली छे. तेमां देवचंद तथा समर्थ - ए बे श्रावकोए पाटणमां पूज्यने वांद्या होवानी (५२) यादी छे; श्रावकोनां नाम साथे जोडेल अटकोमां जणाती विशेषता आवी छे : वखारियां - वक्षस्कारिक (४९), गाला- गल्लक (५२), परीख - परीक्षक (५५) इत्यादि. श्रावक - नामावली पूर्ण थतां ज ' इति श्राद्धनामानि लखेल छे, अने प्रति पूर्ण थाय छे. आम एक रसप्रद कृति अपूर्णतामां ज पूर्ण थाय छे.
जे प्रतना आधारे आ संपादन थयुं छे ते प्रत खंभातना श्रीविजयनेमिसूरिज्ञानशाळा - भंडारनी छे. पांच पानानी आ प्रत त्यांनी यादीमां 'पत्तननगरवर्णनं ' एवा नामे नोंधाएली छे. प्रत ऊधईथी कोरायेली छे.
प्रांते, एक मुद्दो नधुं के आ लेख मात्र विज्ञप्ति - लेख ज छे, लेख नहि. केम के आमां क्यांय क्षमायाचनानी वात छे नहीं.
विज्ञप्ति-लेखनुं छंदोवैविध्य ध्यानपात्र छे, तो कविनी प्रसन्न कल्पनाशक्ति पण तेमने एक नीवडेल पद्यकार/ काव्यकार तरीके स्थापी आपे तेवी छे. विज्ञप्ति - लेखः ॥
स्वस्ति श्रीकरिणी यदीयविलसत्पादद्वयी सोमजा मध्ये नर्मविधिं चकार चतुरा दीप्रप्रभाम्भोभरैः । विघ्नालीनलिनीनिबर्हणकरी श्रेयस्विनां शङ्करी व्यापत्संहतिदुः सपत्त्रपूतनासन्त्राससम्पादिनी ॥ १ ॥ स्वस्ति श्रीदिविषद्रवीव दिविषद्रेहं यदीयक्रमद्वन्द्वं तारतरत्विषा विलसितं व्यद्योतयद् भास्वती ।
Jain Education International
क्षमापना -
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org