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अनुसंधान-१६ .3 वर्णन; २४-३३-परिखा(खाई) वर्णन; २५-३९ सरस्वती नदीनुं वर्णन; ४०-४६ गायो, वर्णन; ४७-५१ महिषी (भेस) वर्णन; ५२-५६ श्राद्ध (श्रावक) वर्णन; ५७-६३ श्राद्धी (श्राविका)वर्णन; ६४-६८ जिनमन्दिर वर्णन; ६९-८३ उपाश्रय वर्णन-आम पेटावर्णनो छे.
आमां पद्य ४४मां चोरी माटे 'चतुरिका' शब्द प्रयोजायो छे, ते ध्यानार्ह छे. ५९मां श्राविकाओना सेंथामां पूरेला सिन्दूरनो निर्देश छे. उपाश्रय-वर्णनमांउपाश्रयो चूनाथी धोळेला, भीत पर हाथीनां सौम्य चित्रो छे, धूप-सुगंधथी ते महेकता होवामुं, मोतीजडेला चंदरवा-पुंठियां बांधेला होय वगेरेनुं वर्णन माहितीसभर तेमज रसप्रद छे. तो उपाश्रयमां वसता साधुओनी कामगीरीनी वातो पण नोंधपात्र छे. कर्ता जणावे छे : आचार्य (पूज्यपादः) वाचकोने, वाचको पंडितोने अने पंडितो शिष्योने भणावता हता. वळी ते बधा शब्दशास्त्र, शब्दकोश, तर्कशास्त्र, जिनगमो वगेरे भणे-भणावे छे, तेमज जूना-नवां शास्त्रोनुं लेखन, वाचन, योजना तेम ज शोधन पण चाली रह्यां छे.
पद्य ८३मां श्रीतातपादनो तथा पत्तननो अने ८४मां धर्मधाम तेमज अहम्मद राजाए स्वनाम उपरथी स्थापेल 'अहम्मद' शहेरनो उल्लेख थयो छे. ८६मां धनहर्षशिष्य विज्ञप्तिका करी रह्यानी नोंध छे. ८७-९३मां प्रातः-वर्णन अने ९४९७मां रवि-वर्णन थयुं छे.
९८-९९मां लेखकार पोतानी धर्मचर्याना विशेष- बयान आपे छे के 'हुं व्याख्यानमां, श्रीमानतुंगाचार्ये रचेल 'शीलभावना' ग्रंथ परनी श्रीरविप्रभाचार्यकृत टीकार्नु वाचन करूं छु.
आ मानतुंगाचार्य कया ? तेमज तेमनो आ ग्रंथ कयो ? तेनो ऊहापोह तथा शोध थवा जोईए, तेम सूचन कर उचित छे. रविप्रभाचार्ये सं. १२२९मां 'शीलभावना' ग्रंथ पर वृत्ति रच्यानो उल्लेख तो 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास' (पृ. १७५)मां मळे ज छे. .
___ १००मा पद्यमां साधुओ-साध्वीओनुं अध्ययन तथा योगोद्वहन सुखे प्रवर्ततुं होवानी वात जणावी छे. १०१मां वार्षिक पर्वनो, २मां नव व्याख्याने कल्पसूत्रवांचननो, ३मां १२ दिनना अमारि पत्रनो, ४ थी ७मां अमारिघोषणानो निर्देश छे. ८मां भाविकोए करेल ३०, १५, १०, ८, ५ उपवास-तपस्यानो, ९मां ६४ स्नात्र
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