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श्रीविमलसूरिकृत देशीनाममाला-उद्धारः ॥
सं. साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री श्रीहेमचन्द्राचार्यनी “देशीनाममाला"मां अनेक देश्य शब्दोनो संग्रह थयो छे, जेना आधारे विद्वानो अनेक शब्दप्रयोगोना अर्थाने उकेली शके छे. तेना आधारे शब्दकोशनी पद्धतिथी बनेल एक अप्रकाशित ग्रंथनुं यथामति संपादन करीने अहीं मूकेल छे. आ संपादनमां क्यांय कांई पण त्रुटी होय तो विद्वानो सुधारशे तेवी विज्ञप्ति.
प्राकृत व्याकरण, अध्ययन करती हती, त्यारे पूज्य आ. श्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी महाराजे आ देशीनाममाला उद्धारनी हस्तलिखित प्रतिना फोट तथा झेरोक्स कोपीओ मने आपी अने अभ्यासनी साथे साथे आनी नकल करवानुं तथा मुद्रित कोश ग्रंथो साथे सरखावतां जईने संपादन करवानुं निर्देश्युं.
__तदनुसार नकल करी; पाठांतर लीधा; "देशीशब्दकोश" (लाडनू) साथे शब्दो मेळववा महेनत करी. कृतिनुं नाम ज सूचवे छे के ते "देशीनाममाला"आधारित छे, एटले तेमांना बधा शब्दो आमां छे एम मानीने तेनी साथे मेळववानो श्रम कर्यो नथी. पण 'देशी शब्दकोश' साथे तो मेळवेल ज छे. केटलाक शब्दो एवा जड्या के जेनी नोंध दे.श.को.मां नथी मळी. आवा शब्दोनी आगळ में ★ आq चिह्न मूक्युं छे. अर्थोमां वधघट के फेरफार तरफ बहु ध्यान आप्युं नथी. ओ-उ ना तथा अनुस्वारना के तेवा अन्य वर्णसम्बन्धी फेरफारो घणा जोवा मळे छे, पण अहीं ते दृष्टिए कोई नोंधो करी नथी. कदाच ते बीजा अभ्यासनो विषय, मारा माटे, बने.
दे.ना.उ.ना कर्ता श्रीविमलसूरि होवा- अंतिम पद्यथी जाणी शकाय छे. तेओ कया गच्छना हता अने कया सैकामां के समयमां थया हशे ते जाणी शकातुं नथी. कर्तानो उद्देश 'दे.ना.' ना शब्दोनो तेमज अर्थोनो बोध सहुने थाय ते माटे वर्णानुक्रमे दे.ना.गत शब्दो (सार्थ)नोंधवानो रह्यो छे (पुष्पिका-पद्यो). अने ते पद्योमा कर्ता आ रचनाने देश्यदीप तरीके ओळखावे छे. संभव छे के कर्ताने ते ज नाम अभिप्रेत होय. परंतु अहीं तो हस्तप्रतिलेखकोए पोतानी पुष्पिकामां जे
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