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________________ [45] वधुमां, आ गाममां एक स्थान (टीबो) छे, ते आजे 'अजयपालना चोरा' नामे ओळखाय छे. त्यां खंडित जैन शिल्पो गोठवायेला छे, जे देव तरीके पूजाय छे अने ग्राम जनोनी आस्थानो विषय छे. त्यां २-३ वृक्षो छे, जेनां पांदडां आजे ताव-तरिया वगेरे रोगो मटाडवाना खपमां आवे छे, अने लोको चमत्कारिक वृक्ष तरीके तेनी मानता पण राखे छे. संभव छे के ए ओटा नीचे कांइ ऐतिहासिक अवशेषो दटाया पड्या होय. लोकधारणा एवी छे के ते ओटा, उत्खनन करवाथी अपमंगल थाय, तेथी ग्रामजनो खोदवाना पक्षमां नथी होता. आजे आ गाममां जैनोनी वस्ती नथी ते पण एक विचारवाजोग हकीकत छे. अजपुर पार्श्वनाथस्तोत्र (भाषा) ऐं नमः ॥ सारयससिसम काय माय 'सारय' समरेवि। . निअगुरु गोयम पाय नमेवि तस अनुमति लेवि ॥ नयर 'अज्झाउर' मंडणउ सिरि पासजिणेसर । मानव-मानस-वंछिअत्थ - दायक अलवेसर ।। नीलवर्ण नव करतणु ए त्रेवीसमो जिणंद । वामानंदन वीनवु ए , निरमालडी ए, दीठइ परमाणंद । मणोरहीए दीठइ परमाणंद ॥ १ ॥ आदिहि आदिजिणंदपुत्त भरहेसर कहीइ । षट खंड माहिं जास आण नरवर सिरि वहीइ ।। तससुत आदित्ययशा राय बलिं त्रिणि खंड साधइ । पुत्र पौत्र-कोडिहिं करी सायर जिम वाधई ॥ सूरिजिवंसिइं उपना ए संखातीत राजान आवइ कर्मनुं क्षय करीए नि० । पामइ केवलनाण । म० ॥२॥ सागर लाख पंचास कोड पुहते तव हुआ । अजिअनाह बीजा जिणंद सावत्थिई गिरुआ ।। इणि परि अनुक्रमि सूरियवंसि साधई त्रिणि खंड । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520507
Book TitleAnusandhan 1996 00 SrNo 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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