SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्रिगुप्ति और मुक्ति असत्य कर लिया। उठा। जब भी आदमी ने जगत के सत्य की खोज करनी चाही, तो इसलिए महावीर ने स्यातवाद को जन्म दिया। स्यातवाद का उसने प्रतिमा बनाई किसी परमात्मा की-हिंदुओं का परमात्मा अर्थ होता है, मैं भी ठीक, तुम भी ठीक। मैं भी ठीक, तुम भी | है, बौद्धों का, ईसाइयों का, मुसलमानों का, जैनों का। सबकी ठीक, कोई और भी हो वह भी ठीक। जो कहा गया है वह भी दृष्टि है। दृष्टि के अनुकूल उनका परमात्मा है। ठीक, और जो अभी कहा जाएगा वह भी ठीक। जो दृष्टियां | बाइबल कहती है कि परमात्मा ने आदमी को अपनी ही शकल प्रगट हो गई हैं वे तो ठीक हैं ही, जो दृष्टियां भविष्य में प्रगट में बनाया। हालत ठीक उल्टी है। आदमी परमात्मा को अपनी होंगी वे भी ठीक हैं। | शकल में बनाता है। तुम्हारी जो शकल है वही तुम्हारे परमात्मा लेकिन सभी दृष्टियां अधूरी हैं। कोई दृष्टि पूरी नहीं है। कोई की शकल होती है। उससे अन्यथा हो भी नहीं सकती। तुम्हारी दृष्टि पूरी हो नहीं सकती। दृष्टि मात्र अधूरी है। जहां सारी शकल में ही तो तुम अपने परमात्मा को गढ़ोगे। थोड़ा सुंदर, दष्टियां शांत हो जाती हैं वहां दर्शन का जन्म होता है। लेकिन थोड़ा सजाया-संवारा, थोड़ा निखारा, भूल-चूकें काटी, लेकिन दृष्टियां तो तभी समाप्त होती हैं, जब तुम बिलकुल समाप्त हो होगी तो तुम्हारी ही शकल। थोड़ी सुंदर नाक बनाओगे, थोड़ी जाते हो। जब तक तुम हो, दृष्टि बनी रहती है। तुम्हारे देखने का सुंदर आंख बनाओगे, लेकिन होगी तो तुम्हारी ही शकल। राम ढंग प्रभावित करता रहता है। तुम हिंदू हो, तुम मुसलमान हो, हों कि कृष्ण हों, तुम्हारी ही शकल है। थोड़े सजे-संवरे! जो तुम जैन हो, तुम ईसाई हो, तो तुम्हारे देखने का ढंग प्रभावित सुंदरतम की कल्पना हो सकती थी उस कल्पना को...लेकिन वे करता रहता है। तुम जो भी देखते हो, उसे तुम रंगते जाते हो। कल्पनाएं भी बदल जाती हैं। उसे तुम अपने भाव का वस्त्र उढ़ाते जाते हो। तुम उसे अपनी हरेक दौर का मजहब नया खुदा लाया वेशभूषा पहनाते जाते हो। वे कल्पनाएं भी बदल जाती हैं। जब तुम बिलकुल मिट जाते हो, जब न तुम्हारे भीतर हिंदू है, न जब हमने कृष्ण की कल्पना की तो नीलवर्ण सुंदरतम वर्ण मुसलमान है, न जैन है, न ईसाई है, न आस्तिक है, न नास्तिक | समझा जाता था, इसलिए कृष्ण को हमने श्याम कहा। आज तो है: जब तम यह भी नहीं जानते कि मैं विश्वास करता है कि शायद श्याम कहने को कोई राजी न होगा. अगर नया परमात्मा अविश्वास करता हूं; जब तुमने सब धूल झाड़ दी, जब तुम बनाओ। आज अगर नया परमात्मा बनाओगे तो गौरांग होगा, बिलकुल निपट शून्य हो गए, निराकार हो गए तो दर्शन का जन्म गोरा होगा। कविता की भाषा बदल गई। उन दिनों श्याम वर्ण होता है। तब जो जाना जाता है, उसे महावीर कहते हैं, वही सत्य की बड़ी चर्चा थी, बड़ी महिमा थी। है। और वैसा सत्य ही मुक्त करता है। ऐसे श्याम वर्ण की खूबियां हैं। गोरा रंग उथला-उथला होता ये आज के सूत्र, कैसे हम उस मुक्तिदायी सत्य तक पहुचें, | है; उसमें गहराई नहीं होती। श्याम वर्ण में बड़ी गहराई होती है। कैसे उस मोक्ष को पा लें, कैसे हम सभी पक्षपातों से, सभी जालों | जैसे नदी बहुत गहरी हो तो नीली हो जाती है; उथली हो तो से छट जाएं, कैसे हमारे ऊपर से सारी सीमाएं गिर जाएं और हम सफेद रहती है। असीम हो जाएं, उसके सूत्र हैं। उस दिन की धारणा थी तो श्याम वर्ण। उस दिन की धारणा थी हरेक दौर का मजहब नया खुदा लाया तो हमने मोर-मुकुट पहनाया। आज किसी को मोर-मुकुट करें तो हम भी मगर किस खुदा की बात करें पहनाओगे तो कठिनाई हो जाएगी। इसलिए महावीर ने खुदा की बात ही न की। राम को हमने धनुषबाण दिया। आज धनुषबाण दोगे तो राम हरेक दौर का मजहब नया खुदा लाया हिंसक मालूम होंगे। हवा में अहिंसा है। बात अहिंसा की और जब भी आदमी बोला. जब भी आदमी ने सोचा तो एक नए शांति की है। आज तो कबतर देना पडेगा। उडाओ कबतर। परमात्मा को जन्म दिया। जब भी आदमी ने विचार किया तो एक आज धनुषबाण लेकर राम चलेंगे तो बड़ी अड़चन हो जाएगी। नए परमात्मा को गढ़ा। एक मंदिर उठा, मस्जिद उठी, गुरुद्वारा खुद भी नहीं चल पाएंगे। साथ भी चलने में लोग झिझकेंगे कि 598 __Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340160
Book TitleJinsutra Lecture 60 Trigupti aur Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size42 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy