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________________ जिन सूत्र भाग: 2 गुरुत्वाकर्षण खींच लेता है। ऐसा थोड़े ही कि तुमने एक कदम | भक्त तो शराबी जैसा है। उसने तो भक्ति की सुरा पी ली। छलांग लगाई, फिर तुम पूछते हो अब हम क्या करें छलांग अब वह डांवाडोल चलता है। अब गिर जाए, तो उसे फिकर लगाकर? पूछने का मौका ही नहीं है। गए! एक कदम तुमने नहीं। न पहुंच पाए तो उसे फिकर नहीं। उठाया कि जमीन खींचने लगती है। एक कदम तुम न उठाते तो तुमने कभी एक मजे की घटना देखी है? शराबी गिर जाता है जमीन की कशिश के लिए तुम उपलब्ध न थे। एक कदम उठाया रास्ते पर, हाथ-पैर नहीं टूटते। तुम जरा गिरो! कि जमीन की कशिश काम करने लगी। एक बैलगाड़ी में दो आदमी बैठे थे—एक शराबी शराब पीए तो भक्ति का शास्त्र कहता है कि तुम छलांग लो, फिर और एक आदमी पूरे होश में। बैलगाड़ी उलट गई। जो होश में परमात्मा की कशिश बाकी काम कर देती है। तुम छोड़ो, वही था, उसके हाथ-पैर टूट गए। जो शराबी था उसको पता ही नहीं कर लेगा। | चला। जब उसने सुबह आंख खोली तो उसने कहा, अरे! ध्यानी कहता है, हम छोड़ न पाएंगे ऐसे। हम तो जो गलत है बैलगाड़ी का क्या हुआ? उसे छोड़ेंगे। पता नहीं परमात्मा है भी या नहीं? तुमने देखा, कभी-कभी छोटे बच्चे गिर पड़ते हैं छत से, चोट तो तुम्हें सोचना है अपने भीतर कि तुम्हें कौन-सी बात ठीक नहीं खाते। बड़ा आदमी गिरे तो जरूर चोट खाता है। क्या लगती है। अगर पागल होने की हिम्मत है तो भक्ति। अगर तर्क कारण होगा? शराबी जब गिरता है तो उसे पता ही नहीं चलता बहुत प्रगाढ़ है, सोच-विचार काफी निखरा हुआ है, बुद्धि | कि गिर रहे हैं। गिरने का पता चले तो आदमी रोकता है। रोके बलशाली है तो भक्ति तुम्हारे काम की नहीं। तो विरोध खड़ा होता है, प्रतिरोध होता है। जब होशवाला घबड़ाहाट कोई भी नहीं है। पहुंचोगे तो वहीं। जब तुम आदमी गिरता है तो वह सब तरह से अपने को रोकता है कि गिर सीढ़ियां उतर रहे हो तब भी कशिश ही तुम्हें खींच रही है। तुम न जाऊं। जमीन खींच रही है नीचे, वह खींच रहा है, सम्हाल धीरे-धीरे उतर रहे हो, बस इतनी ही बात है। भक्त तेजी से जा रहा है अपने को जमीन के विपरीत। तो दोहरी शक्तियों में विरोध रहा है, तीर की तरह जा रहा है। तुम आहिस्ता-आहिस्ता जा रहे होता है। उसी में हड्डियां टूट जाती हैं। हो, एक-एक कदम जा रहे हो। जब तुम एक कदम उतरते हो शराबियों को गिरते देखकर और चोट लगते न देखकर चीन सीढ़ी से तब भी कशिश ही तुम्हें खींचती है। लेकिन तुम एक और जापान में एक विशेष कला विकसित हुई, उसका नाम है कदम उतरते हो, फिर दूसरा कदम उतरते हो। तुम पर निर्भर है। ज्युदो, जुजुत्सु। यह देखकर कि शराबी गिरता है रोज। पड़े हैं और जल्दबाजी में ऐसा मत करना, यह मत सोचना कि.चलो नाली में। फिर सुबह उठकर घर जाते हैं, फिर नहा-धोकर फिर यह सीधा मार्ग है भक्ति का; छलांग लगा जाओ। अगर तुम्हारे चले दफ्तर। न उनकी हड्डी-पसली टूटी, न कहीं कुछ है। तुम मन में यह न जंचे तो छलांग लगेगी ही नहीं।। सुबह पहचान भी नहीं सकते कि ये रातभर सड़क पर पड़े रहे हैं। तो अपने मन को पहचानना। तुम्हें जो ठीक लगे वही तुम्हारे | सुबह बिलकुल ठीक मालूम पड़ते हैं। तुम तो गिरो इतना! लिए ठीक है। और सदा ध्यान रखना जो तुम्हारे लिए ठीक है, बच्चा रोज गिरता है, दिनभर गिरता है घर में। मां-बाप तो गिरें; वह जरूरी नहीं कि सभी के लिए ठीक हो। जो दूसरे के लिए फौरन हड्डी-पसली टूट जाएगी। ठीक है वह तुम्हारे लिए गैर-ठीक हो सकता है। जो दूसरे के अभी अमरीका में उन्होंने एक प्रयोग किया हार्वर्ड युनिवर्सिटी लिए अमृत है, तुम्हारे लिए जहर हो सकता है। में कि एक बड़े पहलवान को, बड़े शक्तिशाली आदमी को एक मृत्यु तो एक ही है। मृत्युएं दो नहीं हैं। अंतिम परिणाम तो एक छोटे बच्चे की नकल करने को कहा। आठ घंटे बच्चा जो करे ही है, लेकिन चलनेवाले दो ढंग के हैं। कुछ हैं, जो होशियारी से वह तुम करो। वह आदमी सोचता था, मैं शक्तिशाली आदमी चलते हैं, सम्हल-सम्हलकर चलते हैं। रास्ते पर देखा, कोई है, गजर जाऊंगा। काफी, हजारों डालर मिलनेवाले थे। चा आदमी सम्हलकर चलता है। और शराबी को देखा, डांवाडोल घंटे में चारों खाने चित्त हो गया। क्योंकि वह बच्चा कभी गिरे तो चलता है। अब उसको गिरना पड़े। यह बड़ी झंझट की बात। 584 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340159
Book TitleJinsutra Lecture 59 Rasmayta aur Ekagrata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size39 MB
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