________________ जिन सूत्र भाग: 2 खोज रहे हैं उसे, जो हमारे भीतर ही पड़ा है। उसकी तलाश कर रहे हैं...। तुमने कभी देखा? कभी-कभी हो जाता है। आदमी चश्मा लगाए चश्मा खोजने लगता है। भूल ही जाता है कि चश्मा तो आंख पर चढ़ा है। भूल ही जाता है कि उसी चश्मे से मैं चश्मे को खोज रहा हूं। ऐसे मौके तुम्हें भी आए होंगे। इस जीवन में कुछ ऐसा ही घटा है। जो है, भूल गया है। सिर्फ विस्मरण हुआ है, उसे हमने खोया नहीं है। मात्र स्मरण पर्याप्त है। स्मरण मात्र से उसे पाया जा सकता है। धर्म है—खोज नहीं, पुनर्योज। पाए हुए की खोज; मिले हुए की खोज। जो प्राप्त है उसकी प्राप्ति का उपाय। लेकिन इन छह पर्यों से लड़ना होगा। कठिन नहीं है लड़ाई। क्योंकि हमारे ही सहयोग से पर्दे खड़े हैं। सहयोग के हटते ही गिरने शुरू हो जाते हैं। आज इतना ही। _432 Jan Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org