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________________ जिन सूत्र भाग : 2 जिगर और दिल को बचाना भी है है तुम्हारी आत्मा-उसका तुम्हें पता नहीं है। जो तुम्हारे पास नज़र आप ही से मिलाना भी है नहीं है, तुम्हें खयाल है कि है। और जो तुम्हारे पास है, तुम्हें मुहब्बत का हर भेद पाना भी है खयाल ही नहीं है कि है। बस इतना ही रूपांतरण है। इतनी ही मगर अपना दामन बचाना भी है क्रांति है कि तुम्हें दिख जाए कि क्या मेरे पास नहीं है, और क्या उन लोगों में से वे नहीं हैं। उनका दामन मेरे हाथ में आ गया। | मेरे पास है। जरा-सी क्रांति है। और वे छुड़ाने वालों में से नहीं हैं। उनको मैं कहूंगा, धीरज रखें। लेकिन उस जरा-सी क्रांति से सारा जीवन रूपांतरित हो जाता जैसे और प्रश्न गिर गये, यह प्रश्न भी गिर जाएगा। जैसे-जैसे है। धागे को सुई में डालना कोई बहुत बड़ी क्रांति थोड़े ही है, तुम अपने भीतर ऊपर उठने लगोगे, जैसे-जैसे तुम्हारे भीतर जो | लेकिन महावीर कहते हैं, धागा चला जाए र होना है होने लगेगा, वैसे-वैसे तुम्हारे प्रश्न खोते चले जाएंगे। भी सुई खोती नहीं। जैसे ही तुम्हें यह समझ में आना शुरू हो एक चित्त की दशा है, जिसे निष्प्रश्न कहें, वही ध्यान की दशा गया-क्या तुम्हारे पास नहीं है, वैसे ही तुम्हें दूसरी तरफ से यह है। नहीं कि ध्यानी के सब प्रश्न हल हो जाते हैं, बल्कि ध्यानी के भी स्पष्ट होने लगेगा, क्या तुम्हारे पास है। भिखमंगापन खोना सब प्रश्न गिर जाते हैं। हल करने की आकांक्षा नहीं रह जाती। है। और तुम्हारे सम्राट होने की याद तुम्हें दिलानी है। दुल्हन कीप्रश्न व्यर्थ हो जाते हैं। बात सुनकर तुम्हें अपने भीतर के सम्राट की थोड़ी-सी झलक आ चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है गयी है। बात एक है जो अभी हो के अभी होनी है शरीर डोला है। आत्मा दुल्हन है। संसार डोला है। परमात्मा जिंदगी नींद है वह जागकर आने वाली दुल्हन है। और तुम नाहक बराती बने हो, तुम दूल्हा बन सकते जो अभी सो के अभी सोयी अभी सोनी है हो। तुम नाहक ही बरात में धक्के-मुक्के खा रहे हो। चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है कब तक दूसरों की बरात में सम्मिलित होते रहोगे? कभी अहंकार है नहीं तुम्हारे पास, मगर लगता है—है। महावीर की बरात में सम्मिलित हुए, कभी बुद्ध की बरात में चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है सम्मिलित हुए, कभी कृष्ण की बरात में सम्मिलित हुए, तुम्हें खोयी हुई ही है। अहंकार है नहीं किसी के पास, सिर्फ भ्रांति | समझ नहीं आयी? चढ़ो अब घोड़े पर बैठो! बहुत दिन हो गये है। जैसे तुमने जेब में घर से पैसे डाले थे और रास्ते में कट गये, अब, बराती, बराती, बराती, अब दूल्हा बनो! तुम्हारी दुल्हन लेकिन बाजार में तुम उसी अकड़ से चले जा रहे हो जैसे पैसे जेब | तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है। में हों। उसी गर्मी से! जेब कट गयी है। लेकिन तुम्हारी अकड़ चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है अभी जिंदा है। क्योंकि तुम्हें खयाल है कि जेब में पैसे हैं। वह तो बात एक है जो अभी होकर अभी होनी है तुम जब हाथ डालोगे जेब में तब पाओगे। बस...उत्तर नहीं दूंगा, इन मित्र को उत्तर नहीं दूंगा। इनसे उत्तर चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है से ज्यादा आशा है। यह तो सुनें, पीयें, यहां पास मेरी हवा को खो चुके हो—वस्तुतः खो चुके हो ऐसा कहना भी ठीक नहीं, छुएं, डूबें, मिट जाएंगे सब प्रश्न। यह प्रश्न भी मिट जाएगा। कभी थी ही नहीं। जेब कटी ही हुई है। प्रथम से ही कटी है। यह भी कोई प्रश्न है कि प्रश्न क्यों गिर गये! जब प्रश्न ही गिर मगर तुमने जेब में हाथ नहीं डाला है। मैं तुमसे कहता हूं, तुमसे गये, जब सांप ही चला गया, तो यह केंचुली भी चली जाएगी। मैं वही छीन लेना चाहता हूं जो तुम्हारे पास नहीं है। और तुम्हें मैं वही देना चाहता हूं जो तुम्हारे पास है। तीसरा प्रश्न: आपका प्रवचन सुनते-सुनते आंखें बंद होने चीज एक है जो अभी खो के अभी खोनी है लगती हैं, कान बहरे होने लगते हैं और चेष्टा करने पर भी बात एक है जो अभी हो के अभी होनी है स्थिति नहीं सम्हलती। जी चाहता है कि जब परमात्मा सामने और एक बात ऐसी है जो हो ही चुकी है, जो सदा से हुई हुई | है, तो उन्हें निहारता रहूं और उनके अमृतवचन का रसपान 170 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340135
Book TitleJinsutra Lecture 35 Kinara Bhitar Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size39 MB
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