________________ किनारा भातरह ऊपर चली जाए। प्रश्न नीचे रह जाएं, बस गये। तुम्हारी समझ . थोड़ा रुको। जिन्होंने पूछा है, सरल-हृदय व्यक्ति होंगे। जब प्रश्नों से नीचे होती है, तो प्रश्न होते हैं। तुम्हारी समझ जब जिन्होंने पूछा है, निष्ठावान व्यक्ति होंगे। तीन दिन ही उन्होंने प्रश्नों से ऊपर उठ जाती है, पंख खोल देती है आकाश में, प्रश्न मुझे सुना है। और कल डोली की दुल्हन की बात सुनकर उनके जमीन पर पड़े रह जाते हैं। फिर कोई चिंता नहीं रह जाती। सारे प्रश्न गायब हो गये। बड़े सरल-हृदय होंगे। उन्हें अपने इसे खयाल रखो। असली सवाल प्रश्नों का नहीं है, असली पंखों का पता नहीं होगा। उड़ सकते हैं आकाश में। जैसे ही सवाल तुम्हारी चित्त दशा का है। एक खास चित्त दशा में खास जरा-सी ऊंचाई आयी, प्रश्न गये। इस नये प्रश्न को भी मत तरह के प्रश्न उठते हैं। उसी चित्त दशा को बनाये रखे अगर तुम पूछो। प्रश्न नासमझों के लिए छोड़ दो। समझदार को पूछने को प्रश्नों को हल करना चाहो, हल नहीं हो सकते। अकसर लोग कुछ भी नहीं है। समझदार को तो समझने को है, पूछने को कुछ यही कर रहे हैं। यह असंभव है। चित्त का तो कुछ रूपांतरण भी नहीं है। थोड़ा जागो। नहीं करते। चित्त तो वही का वही रहता है। प्रश्न पूछते हैं, एक दुल्हन की बात सुनकर जैसे उनके भीतर एक नया द्वार खुल उत्तर मिलता है। तुम्हारा चित्त वही का वही, उस उत्तर में से दस गया। खुलना ही चाहिए, अगर मेरी बात ठीक से सुन रहे हो। ये प्रश्न खड़े हो जाते हैं। फिर दस उत्तर ले आओ, हजार प्रश्न खड़े बातें सिर्फ बातें नहीं हैं। ये बातें बहुत कुछ लेकर तुम्हारे पास आ हो जाएंगे। रही हैं। ये बातें बहुत ही गहन संदेश लेकर तुम्हारे पास आ रही एक स्कूल में ऐसा हुआ। एक छोटा बच्चा भाग-भागकर हैं। ये बातें प्रतीक हैं। इन प्रतीकों को अगर तुमने अपने हृदय में सिनेमा पहंच जाता था। शिक्षक परेशान था। कुछ भी पछो वह उतरने दिया, तो न-मालम कितने बंधनों को खोल जाएंगी, किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा हो जाता था। एक दिन उसने यह सोचकर न-मालूम कितनी गांठों को सुलझा जाएंगी। कि चलो कुछ ऐसा पूछे जिसका यह उत्तर दे सके, तो अंग्रेजी के सरल हो चित्त, सुनने की निर्दोषता हो, बंधे हुए पूर्वाग्रह न हों, शब्द पूछे कि इनका अर्थ क्या है? वह खड़ा रह गया तो प्रश्न बच नहीं सकते मेरे पास। बच सकते हैं केवल दो तरह हक्का-बक्का! वह उनके भी उत्तर न दे सका। शिक्षक ने के लोगों के। एक तो उनके जो सुनते ही नहीं। जो बैठे हैं जड़, उसकी सहायता के लिए उसके पड़ोसी विद्यार्थी से | पत्थर की भांति। या उनके, जो मानकर ही बैठे हैं कि उन्हें पता पूछा-'ड्रीम' का क्या अर्थ है ? उसने कहा, स्वप्न! दूसरे से | है, इसलिए सुनने की कोई जरूरत नहीं। पूछा-'गर्ल' का क्या अर्थ है ? उसने कहा, लड़की। अब तो | तो या तो सुस्त, अंधेरे में सोये हुए लोगों के प्रश्न नहीं मिटते, बात साफ थी। उसने इस लड़के से पूछा-'ड्रीमगर्ल' का क्या | या उन लोगों के जिनको पांडित्य का पागलपन सवार हो गया है। अर्थ है? उस लड़के ने कहा, 'हेमामालिनी।' जिनको खयाल है उन्हें पता है। एक तल है। उस तल में से बाहर निकलना बड़ा मुश्किल होता। प्रश्न दो तरह से उठते हैं। एक तो प्रश्न उठता है जिज्ञासा से। है। सारे उत्तर, सारे प्रश्न आखिर तुम्हारी ही बुद्धि के हिस्से बन और एक प्रश्न उठता है जानकारी से। जिज्ञासु का प्रश्न तो अप जाएंगे। उनसे तुम पार न जा सकोगे। इसलिए वास्तविक | वह रुका रहे थोड़ी देर तो अपने-आप गिर जाएगा। लेकिन सहायता उत्तर देने से नहीं होती, वास्तविक सहायता तुम्हारी जानकारी से जो प्रश्न उठता है, वह गिरनेवाला नहीं है। वह बुद्धि को नये आयाम, नये स्तर, नये सोपान देने से होती है। जानकारी गिरेगी तभी गिरेगा। तुमने खयाल किया? कुछ प्रश्न जैसे ही तुम एक बुद्धि स्तर से थोड़े ऊपर गये, तो अचानक तुम तो तुम्हारे जीवन से आते हैं। वे तो सच्चे प्रश्न हैं। कुछ प्रश्न पाते हो बात खतम हो गयी। प्रश्न सार्थक ही मालूम नहीं पड़ता, तुम्हारे शास्त्रीय बोध से आते हैं। वे बिलकुल झूठे प्रश्न हैं। जब उत्तर की कौन तलाश करता है। प्रश्न ही गिर जाता है। तक तुम्हारा शास्त्र न गिरेगा तब तक वे प्रश्न न गिर पायेंगे। पर सत्पुरुषों के पास प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते, प्रश्न गिर जाते जिन मित्र ने यह पूछा है, उनको मैं कहंगा, उन्हें पूछने की कोई हैं। समस्याओं का समाधान नहीं होता, समस्याएं विसर्जित हो जरूरत नहीं। धीरज रखें। वे उन लोगों में से नहीं हैं, जो अपने जाती हैं। को बचाने आये हों। उन लोगों में से हैं, जो मिटाने आये हैं। 69 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org