________________ संकल्प की अंतिम निष्पत्तिः समर्पण दिन जान लोगे, खुल जाओगे। इसलिए कहीं अगर तुम्हें कोई फूल मिल जाये तो उसके पास थोड़े रह लेना, क्योंकि सत्संग संक्रामक होता है। फूल के पास शायद तुम्हारी कली भी खुलने का ढंग सीख जाये। बस इतना ही सत्संग का अर्थ होता है। आखिरी प्रश्न: कुछ कहना था, नहीं कह पा रहा हूं। हृदय की पीड़ा प्रेम बनकर बिखर जाती है। मेरी दिनचर्या आनंदचर्या बन चुकी है। मेरी आंखें अब झपकने-सी लगी हैं, क्योंकि आपकी आंखों में जादू है। अब पिघलू और बहू-बस यही कह दें! तथास्तु! आज इतना ही। 269 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org