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________________ तुम मिटो तो मिलन हो चौंके-से, चौकन्ने-से खड़े रह गये कि अब क्या करना। और जो कुछ उसके पास था उसने दे दिया। वे दोनों भागे लेकर। और वह फकीर जोर-जोर से हंसने लगा, तो वे लौटकर आये। उन्होंने कहा कि महाराज! आप हंस क्यों रहे हैं? आप अजीब आदमी हैं। हम तो समझे कि मरे! आपने जब दोनों के सिर पास लाये, तो हम समझे कि गये! फिर क्या हुआ, आपने दोनों को छोड़ भी दिया? हमने मांगा भी नहीं, हम तो भागने की तैयारी कर रहे थे कि आपके पास जो था आपने दे दिया। अब आप हंस किसलिए रहे हैं? तो उस फकीर ने कहा कि आज मझे पहली दफे पता चला उसका जो मेरे पास है, और जिसे कोई भी ले नहीं सकता। जो लेने योग्य था, देने योग्य था वह मैंने तुम्हें दे दिया-आज मैं नग्न खड़ा हूं। आज मेरे पास बस वही बचा है, जिसको न कोई ले सकता है, न कोई दे सकता है। आज शुद्ध अस्तित्व बचा है। उसी शुद्ध अस्तित्व का नाम महावीर ने आत्मा दिया है। खोओ। जो खो ही जायेगा उसे अपने हाथ से ही खो दो। जो मौत छीन लेगी तुम उसे स्वयं ही दे दो, ताकि मौत जब आये तो छीनने को उसके पास कुछ भी न हो। तुम्हारे पास कुछ भी न हो जिसे वह छीन सके। मौत के पहले जो छीना जा सकता है, उसे बांट दो। पकड़ो मत! पकड़ छोड़ो! और तब तुम पाओगे: मौत आयेगी, लेकिन तुम्हें मार न पायेगी। क्योंकि मौत घटती है इसीलिए कि तुम उसे पकड़े हो जो छीना जा सकता है। जब मौत छीनती है, तुम समझे कि मरे। जिसने उसे पहले ही छोड़ दिया-मौत आती है, खाली हाथ चली जाती है। कुछ है ही नहीं छीनने को। वही बचा है जिसे छीना नहीं जा सकता-स्वभाव, धर्म, तुम्हारे भीतर का परमात्मा! आज इतना ही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340106
Book TitleJinsutra Lecture 06 Tum Mito to Milan Ho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size45 MB
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