________________ महावीर-वाणी भाग : 2 तो ये चार जब पकड़ें तो थोड़ी बुद्धिमानी बरतना और जरा होश रखना कि बहुत बार यह हो चुका है। क्या है परिणाम? क्या है निष्पत्ति? और अगर कोई परिणाम, कोई निष्पत्ति न दिखायी पड़े तो संयम रखना / ठहराना अपने को, खड़े हो जाना, मत दौड़ पड़ना पागल की तरह / जो इन विक्षिप्तताओं से अपने को रोक लेता है, वह धीरे-धीरे उसको जान लेता है, जो विक्षिप्तताओं के पार है। उसका नाम ही आत्मा है। आज इतना ही। पांच मिनट रुकें, कीर्तन करें और फिर जायें। 96 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.