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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 लेकिन पीपल के वृक्ष के नीचे भी मत सोना। क्योंकि पीपल का वृक्ष इतनी ज्यादा इनर्जी उड़ेल देता है कि उसकी वजह से आप बीमार पड़ जाएंगे। पीपल का वृक्ष सर्वाधिक शक्ति देनेवाला वृक्ष है। इसलिए यह हैरानी की बात नहीं है कि पीपल का वृक्ष बोधि-वृक्ष बन गया, उसके नीचे लोगों को बुद्धत्व मिला। उसका कारण है कि वह सर्वाधिक शक्ति दे पाता है। वह अपने चारों ओर से शक्ति आप पर लुटा देता है। लेकिन साधारण आदमी उतनी शक्ति नहीं झेल पाएगा। सिर्फ पीपल अकेला वृक्ष है सारी पृथ्वी की वनस्पतियों में जो रात में भी और दिन में भी पूरे समय शक्ति दे रहा है। इसलिए उसको देवता कहा जाने लगा। उसका और कोई कारण नहीं है। सिर्फ देवता ही हो सकता है जो ले न और देता ही चला जाए। लेता नहीं, लेता ही नहीं, देता ही चला जाता है। यह जो आपके भीतर प्राण-ऊर्जा है, इस प्राण-ऊर्जा को ...यही आप हैं। तो तप का पहला सूत्र आपसे कहता हूं इस शरीर से अपना तादात्म्य छोड़ें। यह मानना छोड़ें कि में यह शरीर के...जो दिखाई पड़ता है, जो छुआ जाता है। में यह शरीर है, जिसमें भोजन जाता है। मैं यह शरीर हं जो पानी पीता है. जिसे भख लगती है, जो थक जाता है, जो रात सोता है और सबह उठता है। "मैं यह शरीर हूं' इस सूत्र को तोड़ डालें। इस संबंध को छोड़ दें तो ही तप के जगत में प्रवेश हो सकेगा। यही भोग है। सारा भोग इसी से फैलता है। यह तादात्म्य, यह आइडेंटिटी, यह इस भौतिक शरीर से स्वयं को एक मान लेने की भ्रांति आपके जीवन का भोग है। फिर इससे सब भोग पैदा होते हैं। जिस आदमी ने अपने को भौतिक शरीर समझा, वह दूसरे भौतिक शरीर को भोगने को आतुर हो जाता है। इससे सारी कामवासना पैदा होती है। जिस व्यक्ति ने अपने को यह भौतिक शरीर समझा वह भोजन में बहुत रसातुर हो जाता है। क्योंकि यह शरीर भोजन से ही निर्मित होता है। जिस व्यक्ति ने इस शरीर को अपना शरीर समझा वह आदमी सब तरह की इन्द्रियों के हाथ में पड़ जाता है। क्योंकि वे सब इन्द्रियां इस शरीर के परिपोषण के मार्ग हैं। ___ पहला सूत्र, तप का - यह शरीर मैं नहीं हूं। इस तादात्म्य को तोड़ें। इस तादात्म्य को कैसे तोड़ेंगे, यह हम कल बात करेंगे। इस तादात्म्य को कैसे तोड़ेंगे? तो महावीर ने छह उपाय कहे हैं, वह हम बात करेंगे। लेकिन इस तादात्म्य को तोड़ना है, यह संकल्प अनिवार्य है। इस संकल्प के बिना गति नहीं है। और संकल्प से ही तादात्म्य टूट जाता है क्योंकि संकल्प से ही निर्मित है। यह जन्मों-जन्मों के संकल्प का ही परिणाम है कि मैं यह शरीर हं।। ___ आप चकित होंगे जानकर - आपने पुरानी कहानियां पढ़ी हैं, बच्चों की कहानियों में सब जगह उल्लेख है। अब नयी कहानियों में बन्द हो गया है क्योंकि कोई कारण नहीं मिलते थे। पुरानी कहानियां कहती हैं कि कोई सम्राट है, उसका प्राण किसी तोते में बन्द है। अगर उस तोते को मार डालो तो सम्राट मर जाएगा। यह बच्चों के लिए ठीक है। हम समझते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन आप हैरान होंगे, यह सम्भव है। वैज्ञानिक रूप से सम्भव है। और यह कहानी नहीं है, इसके उपयोग किए जाते रहे हैं। अगर एक सम्राट को बचाना है मृत्यु से तो उसे गहरे सम्मोहन में ले जाकर यह भाव उसको जतलाना काफी है, बार-बार दोहराना उसके अन्तरतम में कि तेरा प्राण तेरे इस शरीर में नहीं, इस सामने बैठे तोते के शरीर में है। यह भरोसा उसका पक्का हो जाए, यह संकल्प गहरा हो जाए तो वह युद्ध के मैदान पर निर्भय चला जाएगा, और वह जानता है कि उसे कोई भी नहीं मार सकता। उसके प्राण तो तोते में बन्द हैं। और जब वह जानता है कि उसे कोई नहीं मार सकता तो इस पृथ्वी पर मारने का उपाय नहीं, यह पक्का ख्याल। लेकिन अगर उस सम्राट के सामने आप उसके तोते की गर्दन मरोड़ दें तो वह उसी वक्त मर जाएगा। क्योंकि खयाल ही सारा जीवन है, विचार जीवन है, संकल्प जीवन है। सम्मोहन ने इस पर बहत प्रयोग किए हैं और यह सिद्ध हो गया है कि यह बात सच है। आपको कहा जाए सम्मोहित करके कि यह कागज आपके सामने रखा है, अगर हम इसे फाड़ देंगे तो आप बीमार पड़ जाओगे, बिस्तर से न उठ सकोगे। इससे आपको 164 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340009
Book TitleMahavir Vani Lecture 09 Tap Urja Sharir ka Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size71 MB
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