SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तप : ऊर्जा-शरीर का अनुभव है कि सोना एकमात्र धातु है जो सर्वाधिक रूप से प्राण ऊर्जा को अपनी तरफ आकर्षित करती है। और यही सोने का मूल्य है, अन्यथा कोई मूल्य नहीं है। इसलिए पुराने दिनों में, कोई दस हजार साल पुराने रिकार्ड उपलब्ध हैं, जिनमें सम्राटों ने प्रजा को सोना पहनने की मनाही कर रखी थी। कोई आदमी दुसरा सोना नहीं पहन सकता था, सिर्फ सम्राट पहन सकता था। उसका राज था कि वह सोना पहनकर, दूसरे लोगों को सोना पहनना रोककर ज्यादा जी सकता था। लोगों की प्राण ऊर्जा को अनजाने अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। जब आप सोने को देखकर आकर्षित होते हैं, तो सिर्फ सोने को देखकर आकर्षित नहीं होते, आपकी प्राण ऊर्जा सोने की तरफ बहनी शुरू हो जाती है, इसलिए आकर्षित होते हैं। इसलिए सम्राटों ने सोने का बड़ा उपयोग किया और आम आदमी को सोना पहनने की मनाही कर दी गयी थी कि कोई आम आदमी सोना नहीं पहन सकेगा। __ सोना सर्वाधिक खींचता है प्राण ऊर्जा को। यही उसके मूल्य का राज है अन्यथा...अन्यथा कोई राज नहीं है। इस पर खोज चलती है। संभावना है कि बहत शीघ्र, जो प्रेशियस स्टोन से, जो कीमती पत्थर हैं, उनके भीतर भी कुछ राज छिपे मिलेंगे। जो बता सकेंगे कि वे या तो प्राण ऊर्जा को खींचते हैं, या अपनी प्राण ऊर्जा न खींची जा सके, इसके लिए कोई रैजिस्टेंस खड़ा करते हैं। आदमी की जानकारी अभी भी बहुत कम है। लेकिन जानकारी कम हो या ज्यादा, हजारों साल से जितनी जानकारी है उसके आधार पर बहुत काम किया जाता रहा है। और ऐसा भी प्रतीत होता है कि शायद बहुत-सी जानकारियां खो गई हैं। ___ लुकमान के जीवन में उल्लेख है कि एक आदमी को उसने भारत भेजा आयुर्वेद की शिक्षा के लिए और उससे कहा कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ भारत पहुंच। और किसी वृक्ष के नीचे मत सोना-बबूल के वृक्ष के नीचे सोना रोज। वह आदमी जब तक भारत आया, क्षय रोग से पीड़ित हो गया। कश्मीर पहुंचकर उसने पहले चिकित्सक को कहा कि मैं तो मरा जा रहा हूं। मैं तो सीखने आया था आयुर्वेद, अब सीखना नहीं है, सिर्फ मेरी चिकित्सा कर दें। मैं ठीक हो जाऊं तो अपने घर वापस लौटूं। उस वैद्य ने उससे कहा, तू किसी विशेष वृक्ष के नीचे सोता हुआ तो नहीं आया?' 'मुझे मेरे गुरु ने आज्ञा दी थी कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ जाना।' वह वैद्य हंसा। उसने कहा, तू कुछ मत कर। तू अब नीम के वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट जा।' वह नीम के वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट गया। वह जैसा स्वस्थ चला था, वैसा स्वस्थ लुकमान के पास पहुंच गया। उसने कहा, 'लेकिन मैंने कोई चिकित्सा नहीं की। उसने कहा - इसका कोई सवाल नहीं है। क्योंकि मैंने तुझे जिस वृक्ष के नीचे सोते हुए भेजा था, तू जिन्दा लौट नहीं सकता था। तू लौटा कैसे? क्या किसी और वृक्ष के नीचे सोता हुआ लौटा?' उसने कहा, 'मुझे आज्ञा दी कि अब बबूलभर से बचूं और नीम के नीचे सोता हुआ लौट आऊं।' तो लुकमान ने कहा कि वे भी जानते हैं। असल में बबूल सक-अप करता है इनर्जी को। आपकी जो इनर्जी है, आपकी जो प्राण ऊर्जा है, उसे बबूल पीता है। बबूल के नीचे भूलकर मत सोना। और अगर बबूल की दातुन की जाती रही है तो उसका कुल कारण इतना है कि बबूल की दातुन में सर्वाधिक जीवन इनर्जी होती है, वह आपके दांतों को फायदा पहुंचा देती है, क्योंकि वह पांता रहता है। जो भी निकलेगा पास से वह उसकी इनर्जी पी लेता है। नीम आपकी इनर्जी नहीं पीती है, बल्कि अपनी इनर्जी आपको दे देती है, अपनी ऊर्जा आप में उड़ेल देती है। 163 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340009
Book TitleMahavir Vani Lecture 09 Tap Urja Sharir ka Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size71 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy