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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 बायजीद ने इस तरह का अभद्र व्यवहार क्यों किया? हसन ने कहा- कुछ नहीं, जस्ट बैलेंसिंग। कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया। वह एक आदमी देखते हो पहले, भगवान कह गया। इतनी प्रशंसा कर गया। तो किसी को तो बैलेंस करना ही पड़ेगा। कोई तो संतुलन करेगा ही। नाउ एवरीथिंग इज़ बैलेंस्ड। अब हम वही हैं जहां इन दोनों आदमियों के पहले थे। अपना काम शुरू करें। जिंदगी में आप इधर मित्रता बनाते हैं, उधर शत्रुता निर्मित हो जाती है। इधर आप किसी को प्रेम करते हैं, उधर किसी को घृणा करना शुरू हो जाता है। जिंदगी में जब भी आप किसी द्वंद्व को चुनते हैं, तो दूसरे द्वंद्व में भी ताकत पहुंचनी शुरू हो जाती है। आप चाहें, न चाहें, यह सवाल नहीं है। जीवन का नियम यह है। इसलिए महावीर किसी को मित्र नहीं बनाते। और जब वे कहते हैं कि सबसे मेरी मैत्री है, तो उसका मतलब मित्रता से नहीं है। उसका मतलब है कि मेरी किसी से कोई शत्रुता नहीं, मित्रता नहीं। जो बच रहता है, उसको मैत्री कहते हैं। जो बच रहता है! कुछ बच नहीं रहता है, एक निराकार भाव बच रहता है। कोई संबंध बच नहीं रहता। एक असंबंधित स्थिति बच रहती है। कोई पक्ष नहीं बच रहता, एक तटस्थ दशा बच रहती है। जब वे कहते हैं- सबसे मेरी मैत्री है, तो उसका मतलब सिर्फ इतना ही है-~- उससे हम भूल में न पड़ें कि यह हमारे जैसी मित्रता है। हमारी मित्रता तो बिना शत्रुता के हो ही नहीं सकती। जब वे कहते हैं- सबसे मुझे प्रेम है, तो हम इस भ्रम में न पड़ें कि हमारे जैसा प्रेम है। हमारा प्रेम बिना घृणा के नहीं हो सकता, बिना ईर्ष्या के नहीं हो सकता। इसलिए महावीर जैसे लोगों को समझने की जो सबसे बड़ी कठिनाई है, वह यह है कि शब्द वे वही उपयोग करते हैं, जो हम। और कोई उपाय भी नहीं है- वही शब्द हैं, उपयोग करने के लिए। और हमारे भाव उन शब्दों से बहुत और हैं, हमारे अर्थ बहुत और हैं, और महावीर के अर्थ बहुत और हैं। संयम का विधायक अर्थ है- स्वयं में इतना ठहर जाना कि मन की किसी अति पर कोई हलन-चलन न हो। आज इतना ही। फिर हम कल बात करेंगे। अभी जाएं न। थोड़ी देर बैठे। धुन संन्यासी करते हैं, उसमें सम्मिलित हों। 110 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340006
Book TitleMahavir Vani Lecture 06 Sanyam Madhya me Rukna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size80 MB
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