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________________ संयम : मध्य में रुकना अहंकार की खोज में ही बुरा होता है। आप इसको देखते ही नहीं, आप इसकी तरफ ध्यान ही नहीं देते, आप मानते ही नहीं कि तुम हो। उसे कुछ न कुछ करना पड़ता है। उसे कुछ करके दिखाना पड़ता है। अखबार किसी ध्यान करनेवाले की खबर नहीं छापते, किसी की छाती में छुरा भोंकनेवाले की खबर छापते हैं। अखबार इसकी खबर नहीं छापते कि एक स्त्री अपने पति के प्रति जीवन भर निष्ठावान रही। अखबार इसकी खबर छापते हैं कि कौन स्त्री भाग गई। __मुल्ला नसरुद्दीन को उसके गांव के लोगों ने मजिस्ट्रेट बना दिया था, बुढ़ापे में। पहले ही दिन अदालत में कोई मुकदमा नहीं आया। दोपहर हो गयी, मुंशी बेचैन होने लगा- मुल्ला का मुंशी जो था वह बेचैन होने लगा, उदास होने लगा, मक्खी उड़ाते-उड़ाते वहां। ___ मुल्ला ने कहा- बेचैन मत हो, घबरा मत / हैव फेथ आन ह्यूमन नेचर। आदमी के स्वभाव पर भरोसा रखो। शाम तक कुछ न कुछ होकर रहेगा। तू घबरा मत, इतना बेचैन मत हो। कोई न कोई हत्या होगी, कोई न कोई स्त्री भाग जाएगी, कोई न कोई उपद्रव होकर रहेगा। हैव फेथ आन ह्यमन नेचर। आदमी के स्वभाव पर भरोसा रख। आदमी बिना कुछ किये नहीं रहेगा। आदमी के स्वभाव पर भरोसा...सब अखबार उसी भरोसे पर चलते हैं, नहीं तो कोई अखबार नहीं चल पाता। लेकिन कल घटनाएं घटेंगी, अखबार में जगह नहीं बचेगी / पक्का पता है, आदमी के स्वभाव पर भरोसा है। कोई स्त्री भागेगी, कोई हत्या करेगा, कोई चोरी करेगा, कोई गबन करेगा, कोई मिनिस्टर कुछ करेगा, कोई न कोई कुछ करेगा। कहीं युद्ध होगा, कहीं उपद्रव होगा, कहीं सेना भेजी जाएगी, कहीं क्रांति होगी। आदमी के स्वभाव पर भरोसा है, नहीं तो अखबार सब मुश्किल में पड़ जाएंगे। भले आदमी की दुनिया में अखबार बहुत मुश्किल में होंगे। इसलिए मैंने सुना है स्वर्ग में कोई अखबार नहीं हैं, नर्क में सब हैं। स्वर्ग में कोई घटना नहीं घटती, नो इवेंट। खबर भी क्या छापियेगा? अगर छापियेगा भी तो, छपते-छपते, बस अंत में कुछ छपेगा नहीं। ___ भले आदमी की जिंदगी में कोई घटना नहीं है और हम चाहते हैं कि हम हों। घटनाओं के जोड़ के बिना हम नहीं हो सकते। और अगर घटनाएं चाहिये तो आपको तनाव में जीना पड़ेगा, अतियों पर डोलना पड़ेगा। क्रोध करना पड़ेगा, क्षमा करना पड़ेगा। भोग करना पड़ेगा, त्याग करना पड़ेगा। दुश्मनी करनी पड़ेगी, दोस्ती करनी पड़ेगी। संयमी का अर्थ है- जो द्वंद्व में कुछ भी नहीं करता है, जो द्वंद्व के बाहर सरक जाता है। जो कहता है- न दोस्ती करेंगे, न दुश्मनी करेंगे। महावीर किसी से मित्रता नहीं करते हैं क्योंकि महावीर जानते हैं मित्रता एक अति है। महावीर किसी से शत्रुता भी नहीं करते क्योंकि महावीर जानते हैं शत्रुता अति है। लेकिन हम! हम उलटा सोचते हैं। हम सोचते हैं कि अगर दुनिया से शत्रुता मिटानी हो तो सबसे मित्रता करनी चाहिए। आप गलती में हैं। मित्रता एक अति है, उससे शत्रुता पैदा होती है। इधर आप मित्रता करते हैं, ठीक उतनी ही बैलेंसिंग आपको किसी से शत्रुता करनी पड़ेगी। उतना ही संतुलन बनाना पड़ेगा। __मुसलमान फकीर हुआ है, हसन। बैठा है अपनी झोपड़ी में। साधक कुछ पास बैठे हैं। एक अजनबी सूफी फकीर भीतर प्रवेश करता है, चरणों में गिर जाता है हसन के और कहता है- तुम भगवान हो, तुम साक्षात अवतार हो, तुम ज्ञान के साकार रूप हो। बड़ी प्रशंसा करता है। हसन बैठा सुनता रहता है। जब वह फकीर सब प्रशंसा कर चुकता है तो एक और फकीर वहां बैठा हुआ है- बायजीद, वहां बैठा हुआ है। वह हसन जैसी ही कीमत का आदमी है। जब वह फकीर प्रशंसा करके जा चुका होता है चरण छूकर, तो बायजीद एकदम से हसन को गाली देना शुरू कर देता है। सभी लोग चौंक जाते हैं। बायजीद और हसन को गालियां दे! पीड़ा भी अनुभव करते हैं, लेकिन बायजीद भी कीमती फकीर है। कुछ कोई बोल तो सकता नहीं। हसन बैठा सुनता रहता है। फिर बायजीद गालियां देकर चला जाता है। बायजीद के जाते ही शिष्यों में से कोई पूछता है हसन से कि हमारी समझ में नहीं आया कि 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340006
Book TitleMahavir Vani Lecture 06 Sanyam Madhya me Rukna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size80 MB
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