________________ અમૃત પટેલ Nirgrantha अष्टक (वसंततिलका) देवः स वः शिवमसौ तनुतां युगायो यस्यांसपीठलुलिता शितिकुंतलाली // दो:स्तम्भयोरुपरि मन्मथ-मोह-दर्पजैत्र प्रशस्तिफलकश्रियमाश्रयेताम् // 1 // आदिप्रभोरनिशमंसतटीनिषण्ण- . केशच्छलेन परितो वदनारविन्दम् // किं नीलिकादलमिदंतउपयुषा वा सद्गंधलुब्धमधुपावलिराविभाति // 2 // निःकासिताऽविरतियोषित बाहुदंभाड]स्तम्भोपरिस्थकिशलोपमकेशकांतिः // श्रीनाभिजस्य हृदयावसथे विशन्त्या[ न्ती]: ++++स्फुरति वंदनमालिकेव // 3 // एषा यदादिमजिनस्य शिरोरुहश्रीरुद्भूतधूमलहरीव विभौ विभाति // सद्ब्रह्मरूपमनुमेयम/धनेद्धमन्तः स्फुरत्तदिह नूनमनूनमचिः // 4 // शंके पुरः स्फुरति कोमलकुंतलश्रीदंभादमुष्य वृषभस्य विभोरभीक्ष्णम् // स्कंधाधिरूढदृढसंयमभूरिभारव्यक्तीभवत्किणगणोल्बणकालिकेयम् // 5 // सैष प्रभुः कनकभङ्गनिभाङ्गयष्टिलॊकम्पृणो न कथमस्तु यदंसदेशे // मेरोरुपान्तविलसद्घनराजगर्वसर्वकषा स्फुरति पेशल-केशलक्ष्मीः // 6 // मन्ये विशोध्य विधिरैदवमेव बिम्बम् श्रीनाभिपार्थिवभुवो मुखमुच्चकार / तस्य ध्रुवं तदियमंतः निवेश-केशछायाच्छलादपतदङ्क-कलङ्क-लेखा // 7 // अंसस्थली चिकुर-कंचुकिता युगादिदेवस्य विग्रहग्रहे विहिताश्रयायाः // क्रीडाकृते मरकतोपलबद्धभूमिशोभां दधाति गुरुसंयमराज्यलक्ष्मी: (लक्ष्म्याः ) // 8 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org