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249 ज हतुं.... मुंबईमां जून महिनामां शाळाओ खूली जती होय एटले स्वाभाविक ज शिक्षकोनी भरती तो अगाउथी ज थई गई होय. एथी जुलाई महिनामां तो एकेय शाळामां शिक्षकनी जग्या खाली होवानी शक्यता नहोती. एमणे तो आशाना मिनारा बांधीने केटकेटली शाळानां पगथियां घसी नाख्या. पण दरेक ठेकाणेथी एक ज जवाब मळ्यो : 'अमारे त्यां न तो जग्या छे, न तो नोकरी.....'
__ अंगतोनो संबंध तरतां बे काष्ठ जेवो
अवारनवार पत्र लखता लंगोटिया मित्रने प्रत्युत्तर पाठववानी इच्छा | होवा छतां कामनी अत्यंत व्यस्तताने कारणे पत्र लखवानी फुरसद ज न | मळे तो केवी परिस्थिति सर्जाय ?
हरिवल्लभ अने नंदलाल.... बन्ने बाळपणना भेरु. घनिष्ठ मित्रो. मोटा थया पछी बन्ने पोतपोतानां काममां पडी गया.हरिवल्लभ अमदावादमां अने नंदलाल भावनगरमां... एक बीजाने मळवा, ओछु थई गयु. छतां बने जिगरजान मित्रो पत्रव्यवहार द्वारा एकमेकना संपर्कमा रहेता.
'एक वार एवं बन्यु के नंदलाले उपराउपरी त्रण-चार पत्रो लखी नाख्या. पण मने जवाब लखवानी फुरसद मळी ज नहीं. छेवटे नंदलाले एक पोस्टकार्ड मोकली आप्यु, एमां संस्कृतनी मात्र चार पंक्ति ज लखेली हती'. आजे नंदलाल तो हयात नथी, परंतु हरिवल्लभने हजु पण ए पंक्तिओ याद छे :
यथा काष्ठम् च काष्ठम् च समेयाताम् महोदधौ समेत्य च व्यपेयातां तथा भूतसमागमः ॥
'आ श्लोक लख्या पछी अक प्रश्नार्थचिह्न मुकायेलुं हतुं.' आम कहीने हरिवल्लभ आ श्लोकनो अर्थ समजावे छे : 'जेम समुद्रमां एक लाकडं तरतुं होय ने बीजुं लाकडु तरतुं होय ए क्यांक भेगां थाय ने पछी | छूटयं पडी जाय तेम शुं माणसोनो संबंध आम ज रहेशे ?'
आ पत्र मळ्या पछी हरिवल्लभने एटलो अफसोस थयो के तरत | | ज कागळ-कलम लईने बेसी गया अने जवाब लखी नाख्यो.
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