________________ फेब्रुआरी 2011 थयानुं मनातुं. परंतु, प्रस्तुत अभिलेखथी अक नवीन ज विगत प्रकाशमां आवे छे : कलिंगजिन अर्थात् आदि तीर्थंकर ऋषभदेवनी जे प्रतिमा नन्दराजा उपाडी गयेल तेने खारवेले पुनः राजगृहे पाछी लावी (12) स्थापित करी. आनाथी ईसूनी त्रीजी सदी पूर्वे (नन्दनो समय) तेमज तेनी पहेला पण जैन प्रतिमा पूजन यथार्थ रीते प्रचलित होवा, असन्दिग्धपणे सिद्ध थाय छे... हाथीगुफा अभिलेखमा उल्लेखित पूर्वोक्त विवरण-विवेचनाना आधारे निर्विवाद स्वरूपे कही शकाय के खारवेल विविध विद्याओमां पारंगत, ओक कुशळ सेनानायक, पराक्रमी योध्धो तेमज सुयोग्य प्रजाप्रिय सफळ शासक हतो. हाथीगुफा अभिलेखनी आ संक्षिप्त विवरण-विवेचना छे. जो तेनी प्रत्येक पंक्तिना प्रत्येक शब्दनी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक सन्दर्भे स्पष्टता-विवेचना कराय तो ज तेनुं सर्वाङ्गी महत्त्व समजी शकाय. अस्तु. आधार ग्रन्थो 1. भारतीय अभिलेख विद्या. शास्त्री, हरिप्रसाद अने प्रवीणचन्द्र परीख, अमदावाद : 1973 2. साहित्य अने विवेचन. दी.ब. केशवलाल ह. ध्रुव. अमदावाद : 1995 (बीजी आवृत्ति) 3. प्राचीनजैनलेखसंग्रह. प्रथम भाग (प्राकृत) सं. मुनि जिनविजय, भावनगर : 1917 4. भारत का प्राचीन इतिहास, घोष, नरेन्द्रनाथ, लखनउ, 1902 5. प्राचीन भारतीय स्तूप, गुहा एवम् मन्दिर, उपाध्याय, वासुदेव, पटना : 1972 6. भारतीय इतिहास कोश, भट्टाचार्य सच्चिदानन्द, लखनऊ : 1989 (द्वितीय संस्करण) 7. ऐतिहासिक भारतीय अभिलेख, वाजपेयी, कृणदत्त तथा अन्य जयपुर : 1992 8. प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख-१ गुप्त परमेश्वरीलाल वाराणसी : 1996 (तृतीय संस्करण) 9. प्राचीन भारत का इतिहास 1 (सं.) गुप्त, शिवकुमार जयपुर : 1999 10. Indian Epigraphy, Sircar, D.C. Varanasi : 1965 11. The Cave Temples of India, James Fergusson and James Prurgess. Delhi : 1969 (Reprint) 12. Political History of Ancient India, Raychaudhary, H.C.Calcutta : 1972 (Seventh Edition). C/0. श्रीखंभलाव महेंदीवाडी, जमनावड रोड, धोराजी