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मौखिक अने लिखित परम्पराओ सन्दर्भ बोले बांधनारनी कथाओ
हसु याज्ञिक
जैन कथा-साहित्यनां मध्यकालीन गुजराती साहित्यक्षेत्रे महत्त्वनां बे योगदान छे. पहेलुं तो ओ के आने कारणे अक बोलाती भाषानुं लिखित साहित्यकृतिना माध्यम तरीकेनुं स्वरूप घडायुं, स्वीकारायुं अने सुप्रतिष्ठित अने स्थिर थयु. बीजुं आवं ज महत्त्वनुं योगदान ओ के आना कारणे ज संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंशादि भाषाओमां जे महत्त्वनी रसप्रद कथाओ हती ते मध्यकालीन गुजराती भाषामां आवी ते साथे ज आ प्रवाहमा समकालीन ओवी मुखपरम्परानी कथाओ, पण लिखित रूप बंधायु. अहीं विशेष नोंधपात्र अने कथासाहित्यना अभ्यासीओ खास ध्यानमा राखवा जेवी वात ओ छे के, ज्यारे कोई पण मुखपरम्परानी कथानुं लिखित रूपमां दस्तावेजीकरण थाय छे त्यारे अनुं लोकविद्याFolklore मांथी प्रशिष्टमां स्थानान्तर-रूपान्तर थाय छे, अनुं चंचळ अने फरतुंतरतुं Floating अर्बु रूप निश्चित शब्दो धरावता पाठ Text वाळु बने छे, पात्र-स्थळ-घटना सुनिश्चित अने स्थिर बने छे. आम छतां, आवी कथाओ, मौखिक परम्परामां तो सातत्यथी, केटलांक रूपान्तरो-परिवर्तनो साथे पण पोतानुं अस्तित्व टकावी राखे छे. आधुनिक काळे दस्तावेजी रूप पामेली कोई पण लोककथानां कथानकने, अनां कोइ रूपान्तरने कोई संस्कृत, प्राकृत, पालि भाषाना कथाग्रन्थमां जोइओ छीओ, त्यारे तारवीओ छीओ के अमुक आजनी कण्ठपरम्परानी लोककथानां कुळमूळ संस्कृत के प्राकृतमां छे ! आQ कहीओ, मानी-मनावीओ त्यारे पण खास लक्षमा राखवा जेवी बाबत ओ छे के आवो संस्कृत-प्राकृत-पालि कथाग्रन्थ कंइ ओ कथानो मूळ स्रोत Origin नथी, केमके, ओ ग्रन्थमां पण आवी कथा, अन्ते तो ते समयनी कण्ठपरम्परामांथी ज लेवामां आवी होय छे. दृष्टान्त आपीने स्पष्ट करीओ तो आधुनिक काळनी कण्ठपरम्परामांथी लिखित दस्तावेजी रूप पामेली ओढा जाम अने होथल पदमणीनी कथामां मूळ आपणे 'ऋग्वेद' दशम मण्डळमां संवादसूक्तरूपे जळवायेली पुरुरवा-उर्वशीनी प्रेमकथामां जोइओ छीओ, ते पण कंइ आ कथानो