________________ अनुसन्धान 46 गर्भ के क्षय का या मरण का तो संकेत तक नहीं प्राप्त होता / अगर यहां ऐसी कल्पना की जाय कि जाय कि हरि-नैगमेषी देव के द्वारा महावीर का गर्भपरिवर्तन हुआ, बाद में वह घटना व्यापकरूप से लोग में-समाज में प्रसिद्ध हो गई होगी; और उसके पश्चात् कोई स्त्री के गर्भ को नागोदर जैसी बिमारी के कारण हानि हो, तो लोग उस स्त्री के गर्भ के लिए 'वह मर गया' या 'क्षीण हो गया' ऐसे आधातजनक शब्दप्रयोग को टाल कर 'तेरा गर्भ नैगमेषापहृत हो गया', यानी 'तेरे गर्भ को भी नैगमेष (देव) अपहरण करके कहीं ले गया होगा' ऐसा कहने लगे होंगे; तो वह क्लिष्ट कल्पना नहीं होगी / वस्तुतः, कितने लोग जैसे धर्म के अन्ध भगत होते हैं, वैसे कितनेक लोग विज्ञान के भी अन्धे भगत होते हैं। उनके अनुसार धर्म की वे सब बातें गलत है, जिन्हें विज्ञान का आधार एवं समर्थन नहि मिलता / फिर, उस पुराने जमाने में भी विज्ञान जैसी चीज थी, ऐसा मानने को वे तैयार नहीं। ऐसे लोग टेस्ट ट्यूब बेबी की बात को विज्ञान के चमत्कार के नाम पर स्वीकार लेंगे, मगर 2600 साल पूर्व भी ऐसा कोई ज्ञान-विज्ञान था कि जिसके बल से गर्भपरिवर्तन जैसी क्रिया भी हो सकती थी, ऐसा स्वीकार करने में उनको परेशानी होगी / सार यही कि जहां गर्भापहरण की घटना को कल्पसूत्र, आचाराङ्गसूत्र,विवाहपन्नत्तीसूत्र इत्यादि आगमों का स्पष्ट समर्थन है, उपरांत, मथुराउत्खनन में मिले हरि-नैगमेषी देव द्वारा गर्भापहार के शिल्प को याद करें, तो पुरातात्त्विक आधार भी है; वहां 'नैगमेषापहत' रोगवाली कल्पना को एक भी ग्रन्थ का समर्थन नहीं है / फिर भी अगर कोई विद्वज्जन या पृथग्जन उन सूत्रों को एवं इस घटनाको गलत समझे, 'धार्मिक मान्यता' कहकर उसका अस्वीकार करे, तो उसका कोई इलाज व उत्तर नहीं है / ऐसे लोगों की ऐसी अवैज्ञानिक कल्पना उन्हें ही मुबारक। हमें तो यकीन है कि कल कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया किसी गर्भ का ट्रान्स-प्लैन्टेशन करके दिखाएगी तो ये लोग भी उसे विज्ञान के चमत्कार के रूप में, बिना हिचकिचाटके, मान लेंगे !! अस्तु / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org