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अनुसंधान-२८
मोटो थई रह्यो छे. कंस ज्ञानीनां वचनो द्वारा पोतानो वैरी हजु जीवतो जाणीने ओने मारवा प्रवृत्त थाय छे. कृष्णजन्म समये समुद्रविजयने त्यां नेमिकुमारनो जन्म थयो होय छे.
सत्यभामाना स्वयंवरना मिषे बन्ने भाई बलदेव-कृष्ण बे मल्लोने हरावे छे, दुर्दान्त अश्व अने वृषभने वश करे छे. अने अन्ते कंसनो वध करीने उग्रसेनने काष्ठपिंजरमांथी छोडावे छे.
_____ कंसपत्नी जीवयशा पोतानाभाई जरासन्ध पासे जई पतिना खून- वेर लेवाने कहे छे. आ बाजु कृष्ण सत्यभामा साथे परणे छे. ए समये नैमित्तिकने पूछतां जणावे छे के यादवो साथे तमे सौ दक्षिण दिशामां जाव. सत्यभामाने युगल पुत्र जन्मे त्यां वसी जजो. आम दशारो यादवकुल साथे दक्षिणे जाय छे. विन्ध्याचल सुधी जरासन्धपुत्र कालक तेओने मारवा पीछो करे छे. यादव-कुलदेवीनी सहायथी कालक चितामां पडीने सळगी जाय छे. सत्यभामा पुत्रोने जन्म आपे छे त्यां धनदनी सहायथी सुवर्णनी द्वारिका नगरीनुं निर्माण थाय छे. द्वारिकानी प्रशंसानी वात सांभळतां, जरासन्ध जाणे छे के यादवो हजु जीवे छे तेथी बन्ने वच्चे युद्ध भीषणतया जामे छे जेमां जरासन्धनो नाश थाय छे. आ युद्धमा नेमिनाथनी सहाय मोटी होय छे.
एकदा आयुधशाळामां पहोंचेला नेमिकुमार कृष्णनो शंख वगाडे छे. पोतानो प्रतिस्पर्धी जन्म्यो के शुं तेनी अवढवमा कृष्ण भाई नेमिनी बाहुबल परीक्षा ले छे अने तेना सामर्थ्यने ते पिछाणे छे. कृष्णने जाणवा मळे छे के ते निरागी छे, राज्यमां तेने रस नथी. आम छतां, पत्नीओनी मदद लई जळक्रीडाने बहाने लग्न माटे तैयार न थयेला छतां नेमिकुमार तैयार छे तेवू पोतानी स्त्रीओ जणावे छे त्यारे राजुल साथे लग्न नक्की करे छे. जान तेडी जतां, पशुओनो पोकार सांभळी, तेओने छोडावी, तोरणथी पाछा फरेला नेमिकुमार दीक्षा ले छे. राजुल पण विलाप बाद, नव भवना स्नेहीने मार्गे ज छे. मोक्षमार्ग ज पाळे छे,
मदथी छकेला कृष्णपुत्रो द्वारिका तथा यादवविनाशनुं कारण बने छे, आ पहेलां देवकी पोताना जन्मतावेंत छोडेला, साधु बनेला छ पुत्रोने जोईने ज अपार मातृत्वनो अनुभव करे छे अने स्तन्यपानथी वंचित रहेल देवकी
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