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सोपाराविज्ञप्तिका
अनुसन्धान-५६
-सं. मुनिसुजसचन्द्र सुयशचन्द्रविजयौ
कोइपण नगरीनो इतिहास मुख्यतया ते नगरनां प्राचीन देवस्थानो, वाव- कूवा आदि स्थापत्यो, पुरातत्त्वीय अवशेषो, नगरनो परिचय करावती ग्रन्थोनी रचनाओ के ग्रन्थपुष्पिकाओ इत्यादि सामग्री उपर आधार राखे छे. प्रस्तुत कृतिमा कविए प्राचीन नगरी सोपारक सम्बन्धि केटलीक बाबतो पर प्रकाश पाड्यो छे.
सोपारक नगर ए कोङ्कणदेशनी राजधानी तेमज प्राचीन भारतनी एक सुप्रसिद्ध नगर हतुं. महाभारतमां, ब्राह्मणीय परम्पराना पुराणोमां, बौद्धसाहित्यमां तेमज जैनसाहित्यमां पण आ नगरना उल्लेखो मळे छे. इतिहासमां पण आ नगरना सोपारक, सोपारग, सोपारा, सहुपारा, सौरपारक, सुपारिक एम घणां नामो प्राप्त थाय छे. तथा शक क्षत्रप उषावदातना एक शिलालेखमां आ नगरनो उल्लेख मळे छे. आजे आ नगर महाराष्ट्रनी राजधानी मुम्बईथी नजीक ठाणा जिल्लामां आवेला (सोपारा) नालासोपारा गामना नामथी ओळखाय छे.
१४मी सदीमां आ. श्रीजिनप्रभसूरिए 'कल्पप्रदीप' नामना ग्रन्थना चतुरशीति महातीर्थनामसङ्ग्रहकल्पमां, पुरातनप्रबन्धसङ्ग्रहनी अन्तर्गत कुमारपालदेवतीर्थयात्राप्रबन्धमां तेमज प्रबन्धकोश जेवा ऐतिहासिक ग्रन्थमां तीर्थस्वरूप आ नगरनो तेमज श्रीजीवितस्वामी श्री ऋषभदेव प्रभुना प्रासादनी नोंध करी छे. वळी मुनिचन्द्रसूरिविरचित अष्टोत्तरशततीर्थमालामां, विनयप्रभ उपा० रचित अष्टोत्तरशततीर्थयात्रास्तवमां, मेघाकृत तीर्थमाळा इत्यादि ग्रन्थोमां सोपारकमण्डण जीवितस्वामीनुं नाम जोवा मळे छे. आम विक्रमनी १६मी सदी सुधी आ नगरनी ख्याति घणी विस्तरेली हशे. त्यारबाद अनुक्रमे काळना प्रवाहमां घटती गई हशे.
कृतिनी भाषा सुन्दर छे. कर्त्ताए आगळनी गाथाओमां भरपूर रीते प्राकृतिक सौन्दर्यनुं वर्णन कर्तुं छे. बीजी गाथामां "सेत्तुंज तीरथु तणीय तलहटी" आ पद्य मूकवा पाछळ कर्तानुं शुं प्रयोजन छे ? ते विचारणीय छे. जो के सोपाराने शत्रुंजयनी तळेटी गणी ते तेनुं माहात्म्यमात्र जणाय छे. ए क्षेत्रनो महिमा ते काले घणो होय. वळी आदिनाथप्रभुनी प्रतिमा होय ते परथी