________________ मज्झ खमेहु पवर हरि, तहिं चडिय भराडी अंब-वरि / / वरंसुय-जुयल-विभूसिय, निन्नासिय भूय विसंधिय(?) / 148 भुवणट्ठिय उज्जिल-सिहरि, नर-देव-सुरिंदेहि लद्ध-सिरी / इंतउ जंतउ भविय-जणु, सा रक्खउ अंबिक एक्क-मणु / ससुर मज्झहं जिण-भवणि, सा रक्ख करउ अंबिक सुयणि / नाइल-कुल-नह-भूसणउ, वद्धमाणसूरि गुण-गण-निलउ / 152 रइयउ तस्स य सीसएण, एह रासउ सागरचंदएण | 148. विभूसीय ... विसंधीय / 149. उजिल्ल . 11.3. सीसेणं ... सागरचंदेणं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org