________________ 24 अनुसन्धान 50 (2) पंच पंच पाले पंच पंच टाले, छ छ नो करे विचार सात कुं टाले आठ कुं गाले, वेही सुध्य अणगार माया छांया ओक कही, घटे बवन के जोर' रज विरज उंची रही, नर माइ के पांण पथर ठोकर खात हे, करडाइ के ताण अवगुण उर धरिये नहि, जोहो वे वृक्ष बंबुल गुण लीजे कालु कहे, नहि छांयामें शूल जल निकट उज्वल वरण, ओक पग चित्त ध्यान में जाणुं कोइ सन्त हे, महा कुपट की खाण चार कोशका माण्डला, वेवाणी का जोरा __ भारे करमी जीवडा, उठे बी रहे गया कोरा दस द्वारको पीजरो, जीसमें पंछी पौन रहे अचंबो मानीये, गये अचंबो कोन ? मस्तक गण्ठी मत हरे, बीच गण्ठी धन खाय छोटी लेखण जे लीखे, जडामूलसुं जाय फीट फीट थारी पाघडी, रंग हमारी चूडी अबारका मोटीयारा सुं, लोगाव्या हे रूडी धोला सो मंदिर भला, काला भला ज केश आभरण तो पीला भला, राता भला ज वेश इति सम्पूर्ण संवत 1961 का चैत्र सुदी पांच ने वार रविये देश दक्षण इलाख मोगलाइ जीला ओरंगाबाद तालुका अंबड पोस्ट बामुंटाकली मुकाम व्यावमांडा लिखीसुंत पूज्य साहेबजी श्री श्री श्री 1008 श्री कानरीखजी महाराज का खंभात संपदा का पुज्य भाणजी रखजी तत् शिष मूनि तपसीजी हीरारखजी मम गुरु तष प्रतापे अमीरख साधु स्व आत्मा अर्थ / / (आनन्द आश्रम, घोघावदर, ता. गोंडल, जि. राजकोट 360 311 दूरभाष : 02825-271582, 271409, मो. 98243 71904) 1. आ दोहानी एक पंक्ति रही गई छे.