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अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१
कुलाल-सारीखउं । अंतराउ पंच-विधु भंडारी-सारीखउं ॥ त्रिसठि सलाकापुरुष हूया । ति किसा । चउवीस तीर्थकर देव । बारह चक्रवर्त्ति । नव वासुदेव। नव प्रतिवासुदेव । नव बलदेव ॥ चउदस गुणठाणा ॥
मिच्छे सासण मीसे अविरयदेसे पमत्त अपमत्ते । नियट्टि अनियट्टि सुहुमुवसमखीण सजोगिअजोगि गुणा ॥१॥ ए चउदह गुणठाणा जाणेवा ॥ चउदस जीवठाणा ॥ एगिदिय सुहुमियरा सन्नियर (पत्र ३२६ ख) पणिंदिया सबित्ति चऊ। पज्जत्तापज्जत्ता भेएणं चोद्दसग्गामा ॥१॥ चउदस अजीवठाणा ॥ धम्माधम्मागासा तिय-तिय-भेया तहेव अद्धा य ।
खंधा देस-पएसा परि(र)माण(णु),अजीव चउदसहा ॥१॥ चउदस मग्गण-ठाणा ॥
गइ-इंदिए य काए जोए वेए कसाय-नाणे य ।
संजम-दंसण-लेसा भव-सम्मे सन्नि-आहारे ॥१॥ चउदह रत्न हुयहि ॥
सेणावइ गाहावइ पुरोहि-गय-तुरय-वड्डई इत्थी ।
चक्कं छत्तं चम्म मणि कागिणि खग्ग-दंडो य ॥१॥ चतुर्विध देव । भुवनपति । व्यंतर । जोइसिय । वेमाणिय ॥ सात नरग-पृथ्वी। घर्माद्या । अधोलोकि ॥ ऊर्ध्वलोकि । बारह देवलोक । नव ग्रैवेक पांच पंचोत्तर विमान । सर्वार्थसिद्धि ॥ तिर्यकु लोकु । प [पत्र ३२७ क] नरह कर्मभूमि । जेहि धर्मु जाणियइ । त्रीस अकर्मभूमि धर्म-रहित ॥ दश आश्चर्य ।
उवसग्ग-गब्भहरणं इत्थी तित्थं अभव्विया परिसा । कन्हस्स अवरकंका अवयरणं चंद-सूराणं ॥१॥ हरिवंस-कुलुप्पत्ती चमरुप्पाउ य अट्ठसय सिद्धा ।
अस्संजयाण पूया दस वि अणंतेण कालेण ॥२॥ सतरहे भेदे संजम् पालियइ । बारहे भेदे तपु कीजइ । आठ प्रवचन माता