________________
जून २००८
श्री बलसिंहसूरिकृत स्तोत्रात्मक तथा उपदेशात्मक चोंबीस लघु कृतिओनो समुच्चय
विजयशीलचन्द्रसूरि
विक्रमना १३मा शतकमां विद्यमान जैन आचार्य श्रीरत्नसिंहसूरिए रचेली, ३४ जेटली लघु रचनाओनो संग्रह धरावती एक ताडपत्रीय पोथीना अक्षरंशः ऊतारारूप आ कृति-समुच्चय यथामति सम्पादित करीने अत्रे प्रकाशित करवामां आवे छे. कोई एक ज कर्तानी रचेली रचनाओनो संग्रह करवामां आव्यो होय एवी संग्रहपोथीओ आपणा भण्डारोमा घणीवार मळी आवती होय छे. घणा भागे आवी पोथी रचनाकारे पोते ज लखी होय छे. क्वचित् तेमना शिष्यादि द्वारा पण लखाई होय छे. आ पोथीनी मने प्राप्त नकलमां लेखक के ले. संवत् वगेरेनो उल्लेख धरावती पुष्पिका नहि होवाथी ते बाबतो विषे कोई विधान करवू मुश्केल छे. वळी, मूळ पोथी पण सामे न होवाथी अनुमान-संवत् कहेवार्नु पण शक्य नथी. छतां, १३मा शतकमां ज आ पोथी लखाई होय अने कर्ताए ज लखी होय, तेम मानवाचं मन अवश्य थाय छे.
आ ताडपत्र-पोथी सूरतना श्री मोहनलालजी जैन उपाश्रयना ज्ञानभण्डारनी छे, अने वि.सं. २०१६मां, स्वर्गस्थ जैन विद्वान श्रीयुत अगरचन्द नाहटाए तेनी नकल पोताना हाथे ऊतारी हती, जे अत्यारे मारी समक्ष छे. श्रीनाहटाजीए प्रतिलिपिना अन्तभागमां लखेली नोंध आ प्रमाणे छे.
"श्रीमोहनलालजी ज्ञानभण्डार, गोपीपुरा, सूरत सत्क ताडपत्रीय पत्र७३ प्रतिको नकल । सं. २०१६ मिती वैशाख बदि १२ सोमवार प्रारम्भ कर वै.व. १५ बृहस्पतिवारको पूर्ण की ।"
पोताना ज्ञान-प्रवास दरमियान सूरत-निवासना दिवसोमां नाहटाजीए आ नकल फक्त ४ ज दिवसमां करी, ते वांचतां तेमनी ज्ञानोपासना तेमज जिज्ञासा माटे सहज बहुमान जागे छे.आवा विद्वान श्रावक आजे क्या मळे ?|
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org